फेफड़ा (लंग्स) कैंसर एक खामोश कातिल है-आओ व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से मिलकर इसपर ठोस कार्यवाही करें

फेफड़ा (लंग्स) कैंसर एक खामोश कातिल है-आओ व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से मिलकर इसपर ठोस कार्यवाही करें   विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस 1 अगस्त 2025- तंबाकू मुक्त जीवन,स्वस्थ्य हवा व स्वास्थ्य समता का सामाजिक नैतिक व नीतिगत आवाहन   2025 में हमारे पास तकनीकी, ज्ञान व संसाधन है,फेफड़ा कैंसर से लड़ने अब सरकार, समाज, चिकित्सा … Read more

वी.एस. अच्युतानंदन : समझौताहीन संघर्ष की कम्युनिस्ट परंपरा के प्रतीक

पिनरायी विजयन, अनुवाद : संजय पराते)* कॉमरेड वी.एस. अच्युतानंदन का जीवन, जिनका सोमवार (21 जुलाई, 2025) को 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया, सामान्यतः केरल के इतिहास और विशेष रूप से, यहाँ के क्रांतिकारी आंदोलन का एक उल्लेखनीय अध्याय है। कामरेड वी.एस. अच्युतानंदन संघर्षों की एक शानदार परंपरा, असाधारण दृढ़ संकल्प और अडिग संघर्षशीलता के प्रतीक थे। उनका एक शताब्दी लंबा जीवन केरल के आधुनिक इतिहास से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने जनता की समस्याओं को उठाया और जनता के साथ खड़े रहे। वी.एस. का केरल के इतिहास में अद्वितीय योगदान है, जिन्होंने विभिन्न चरणों में केरल सरकार, माकपा, वाम लोकतांत्रिक मोर्चा और विपक्ष का नेतृत्व किया। इतिहास यह दर्ज करेगा कि वे केरल की राजनीतिक विरासत का हिस्सा हैं। वी.एस. का निधन एक युग का अंत है। इससे माकपा, क्रांतिकारी आंदोलन और संपूर्ण लोकतांत्रिक प्रगतिशील आंदोलन को भारी क्षति हुई है। पार्टी इस क्षति की भरपाई सामूहिक नेतृत्व के माध्यम से ही कर सकती है। यह वह समय है, जब लंबे समय तक साथ काम करने की कई यादें ताज़ा हो जाती हैं। वी.एस. का जीवन असाधारण ऊर्जा और क्रांतिकारी आंदोलन की ताकत से भरा एक घटनापूर्ण जीवन था। वी.एस. का जीवन केरल और कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास का एक संघर्षपूर्ण अध्याय है। वी एस का राजनैतिक जीवन प्रबल सामंतवाद और जातिवाद के अंधकारमय दौर को बदलने के लिए किए गए संघर्षों के माध्यम से उभरा, जब उन्होंने मज़दूरों और किसानों के विद्रोहों को संगठित करके आंदोलन को विकसित किया। एक साधारण पृष्ठभूमि से, कम्युनिस्ट आंदोलन के विकास के चरणों के माध्यम से, वे केरल के मुख्यमंत्री के पद तक पहुँचे। 1964 में जब कम्युनिस्ट पार्टी का विभाजन हुआ, तो राष्ट्रीय परिषद छोड़ने वाले 32 लोगों में वे भी शामिल थे।वी.एस. के निधन के साथ ही यह आखिरी बची कड़ी भी टूट गई। इसके साथ ही एक मूल्यवान राजनीतिक उपस्थिति भी लुप्त हो गई, जिसने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम और समकालीन राजनीति के बीच तालमेल बिठाए रखा था। एक कम्युनिस्ट नेता, विधान सभा के सदस्य, विपक्ष के नेता और मुख्यमंत्री के रूप में, वी.एस. के अनेक योगदान हैं। वे पुन्नप्रा-वायलार संघर्ष के पर्याय बन गए थे, जिन्होंने कष्ट और सहनशीलता के साथ जीवनयापन किया। वी.एस. बहुत तेज़ी से एक मज़दूर से मज़दूर वर्ग आंदोलन के एक सशक्त नेता बन गए। कम्युनिस्ट पार्टी ने वी.एस. को विकसित किया और वी.एस. ने पार्टी का विकास किया। 1940 में 17 साल की उम्र में वे कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए थे और 85 साल की लंबी अवधि तक पार्टी के सदस्य रहे। वी.एस. कुट्टनाड गए और वहां उन्होंने खेतिहर मज़दूरों की उजरती गुलामी और जातिगत गुलामी को खत्म करने के लिए संघर्ष का नेतृत्व किया। उन्होंने कुट्टनाड के गाँवों में घूम-घूम कर खेतिहर मज़दूरों की बैठकें आयोजित कीं और उन्हें एक संगठित शक्ति के रूप में विकसित किया। उन्होंने यह काम ज़मींदारों और पुलिस को चुनौती देकर किया। वी.एस. ने 'त्रावणकोर खेत मजदूर यूनियन' के गठन में और बाद में केरल के सबसे बड़े मजदूर आंदोलनों में से एक, 'केरल राज्य खेत मजदूर यूनियन' के रूप में इसके विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वी.एस. के नेतृत्व में अनगिनत संघर्षों ने कुट्टनाड के सामाजिक इतिहास को बदल दिया। वे बेहतर मजदूरी, चप्पा प्रथा के उन्मूलन, टिकाऊ रोजगार और अतिरिक्त भूमि की जब्ती के संघर्षों में सबसे आगे थे। खेतों की मेड़ों पर कई किलोमीटर पैदल चलकर और उनकी झोपड़ियों में जाकर उन्होंने खेत मजदूरों में आत्मविश्वास और टीम भावना जगाने का प्रयास किया, जिसके चलते खेत मजदूर बड़े पैमाने पर आंदोलन की ओर आकर्षित हुए। 1948 में पार्टी पर प्रतिबंध लगने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1952 में, उन्हें पार्टी का अलप्पुझा संभाग सचिव चुना गया। इस दौरान, वे एकीकृत केरल के लिए कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा चलाए जा रहे आंदोलनों में सक्रिय रहे। 1957 में जब कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में आई, तो वे पार्टी के अलप्पुझा जिला सचिव और राज्य सचिवालय के सदस्य बने। 1959 में, वे पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य बने। वी.एस. ने अधिशेष भूमि संघर्ष सहित कई साहसी संघर्षों का नेतृत्व किया। वे कुल मिलाकर, साढ़े पाँच साल से अधिक समय तक जेल में रहे। वे 1964 से सीपीआई (एम) केंद्रीय समिति के सदस्य थे। वे 1985 में पोलिट ब्यूरो के सदस्य बने। उन्होंने 1980 से 1992 तक सीपीआई (एम) के राज्य सचिव और 1996 से 2000 तक एलडीएफ संयोजक के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2015 में कोलकाता में आयोजित 21वीं पार्टी कांग्रेस में वृद्धावस्था के कारण केंद्रीय समिति से इस्तीफा दे दिया। बाद में, वे केंद्रीय समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए। वह 2001 से 2006 तक विपक्ष के नेता रहे। वह 2006 से 2011 तक मुख्यमंत्री रहे। वे 2011 से 2016 तक फिर से विपक्ष के नेता के रूप में कार्य करते रहे। वह एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने सभी पदों पर अपनी अलग छाप छोड़ी है। खेतिहर मज़दूरों और नारियल के रेशे बनाने वाले मज़दूरों की कठिनाइयों को व्यक्तिगत रूप से अनुभव करने के बाद, वी.एस. ने अपने अनुभवों को अपनी शक्ति में बदल दिया। वे शोषितों की मुक्ति के पक्षधर थे और इस कॉमरेड ने पूरे साहस के साथ खेत मज़दूरों के आंदोलन और कम्युनिस्ट आंदोलन को आगे बढ़ाया। पार्टी में विभाजन के बाद के दौर में उन्होंने संशोधनवाद और बाद में वामपंथी संकीर्णतावाद के विरुद्ध संघर्ष किया और पार्टी को सही रास्ते पर मज़बूती से टिकाए रखने में अहम भूमिका निभाई। राजनीति की सीमाओं को लांघकर, वीएस ने पर्यावरण, मानवाधिकार और महिला समानता जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भी काम किया। इसी प्रक्रिया में, पार्टी नेता रहते हुए भी वीएस को जनता की स्वीकृति मिली। वीएस ने सामाजिक महत्व के अन्य मुद्दों को मुख्यधारा के राजनीतिक मुद्दों से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विधान सभा के सदस्य के रूप में भी कॉमरेड वी.एस. ने अद्वितीय योगदान दिया है। वे 1967 और 70 में अम्बालाप्पुझा से और 1991 में मारारिकुलम से विधान सभा के सदस्य बने। वे 2001 से 2021 तक पलक्कड़ जिले के मलमपुझा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रहे। उन्होंने 2016 से 2021 तक केरल प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पार्टी और वाम लोकतांत्रिक मोर्चे द्वारा बनाई गई नीतियों को लागू करके केरल के विकास को आगे बढ़ाया। उन्होंने संकटों में भी बिना किसी हिचकिचाहट के सरकार का नेतृत्व किया। विपक्ष के नेता के रूप में, उन्होंने सदन में कई लोकप्रिय मुद्दे उठाए। उन्होंने विधायी मामलों में भी अपना योगदान दिया। वी.एस. एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने केरल के राजनीतिक इतिहास पर एक अनूठी छाप छोड़ी है। कॉमरेड वी.एस. के निधन से पार्टी और देश को अपूरणीय क्षति हुई है।

 पिनरायी विजयन, अनुवाद : संजय पराते कॉमरेड वी.एस. अच्युतानंदन का जीवन, जिनका सोमवार (21 जुलाई, 2025) को 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया, सामान्यतः केरल के इतिहास और विशेष रूप से, यहाँ के क्रांतिकारी आंदोलन का एक उल्लेखनीय अध्याय है। कामरेड वी.एस. अच्युतानंदन संघर्षों की एक शानदार परंपरा, असाधारण दृढ़ संकल्प और अडिग … Read more

मिट्टी के बर्तन बनाना मात्र एक कला ही नहीं, प्रजापति समाज की कलात्मक सोच, उसकी कुशलता और कौशल का प्रतीक – मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने की क्वॉलिटी एश्योरेंस अथॉरिटी

भिवानी में आयोजित हुआ राज्य स्तरीय महाराजा दक्ष प्रजापति जयंती समारोह   महाराजा दक्ष प्रजापति एक महान राजा, दूरदृष्टा, कुशल प्रशासक और सृष्टि के विस्तारक थे- नायब सिंह सैनी   मुख्यमंत्री ने 234 करोड़ रुपये की लागत की 19 परियोजनाओं का किया उद्घाटन एवं शिलान्यास   मुख्यमंत्री ने की घोषणा, अगले 15 दिनों में प्रदेश के 2 हजार गांवों में प्रजापति समाज को करवा दी जाएगी … Read more

गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने लागू की गौ-संवर्धन योजना: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने लाडवा के गांव मथाना में गौ-चिकित्सालय की रखी आधारशिला   गौ-चिकित्सालय के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री ने की 21 लाख रुपये सहयोग के तौर पर देने की घोषणा   चंडीगढ़, 26 मई — हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने गौ-संवर्धन योजना को लागू किया … Read more

सरकारी आतंकवाद बनाम सरकारी सुशासनवाद 

शासन,प्रशासन,दलालों का मेल- सरकारी आतंकवाद का खेल   अंतरराष्ट्रीय स्तरपर क्यों ना हर देश में शासन, प्रशासन व दलालों के गठजोड़ से किया गया, भ्रष्टाचार व आतंकवाद में जमानत न होकर ट्रायल के बाद एक्विट्टल या सजा हो? – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र   गोंदिया – वैश्विक स्तरपर दुनियाँ का हर देश आज … Read more

ऑपरेशन सिंदूर-पाकिस्तान में घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर ध्वस्त किया- सिविल डिफेंस मॉकड्रिल के कुछ घंटे पूर्व कार्रवाई

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर ऑपरेशन सिंदूर कर 9 आतंकी ठिकानों पर सफ़ल टारगेटेड कार्रवाई की भारत ने आतंकवाद के खिलाफ़ अपनी लड़ाई को नया आयाम दिया-घर में घुसकर पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर से करारा जवाब दिया-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र गोंदिया- वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ की निगाहें भारत पर टिकी हुई थी … Read more

सर्व सौभाग्यदायिनी माँ विंध्यवासिनी

रमाकांत पंत   माँ विंध्यवासिनी सर्व सौभाग्य को प्रदान करने वाली परम कल्याणकारी सौभाग्यस्वरुपा देवी के रुप में पूजनीय है इनकी आराधना का फल अतुलनीय माना गया है। माँ विंध्यवासिनी का अलौकिक दरबार परम जाग्रत शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि मातेश्वरी विंध्यवासिनी के इस दरबार में जो भी श्रद्धालु श्रद्धा एवं … Read more

आयकर विभाग द्वारा विवाद से विश्वास योजना पर सेमिनार का आयोजन 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से सभी पर रखी जा रही है नजर   अरिहंत गर्ग बरनाला 13 दिसंबर : आयकर विभाग बरनाला द्वारा विवाद से विश्वास योजना 2024 और अग्रिम कर के भुगतान के बारे में एक मीटिंग बरनाला के सीए,एडवोकेट्स,व्यापारी ज्वेलर्स, डॉक्टर्स,कॉलोनाइजर्स सहित अन्य लोगों से प्रधान आयकर आयुक्त पटियाला के आदेश अनुसार सेमिनार का आयोजन … Read more

संविधान ,संसद और हमारी सरकार 

विषय गंभीर है ,इसलिए इसे गंभीरता से ही पढ़िए। देश के संविधान के 74 साल पूरे हो गए हैं और 75 वां साल शुरू हो गया है। इसी दीर्घायु संविधान से आज की सरकार धर्मनिरपेक्षता को निकाल फेंकना चाहती है ,लेकिन लाख-लाख शुक्रिया कि सरकार की बदनीयत पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने पानी … Read more

अंग्रेज कवि डिरेजियो का महाकाव्य ‘फकीर ऑफ जंघीरा’ और भागलपुर की विश्वविख्यात जहांगीरा पहाड़ी

शिव शंकर सिंह पारिजात उत्तरवाहिनी गंगा तट पर स्थित भागलपुर के सुल्तानगंज स्थित जंघीरा अथवा जहांगीरा पहाड़ी जो वर्तमान में अजगैबीनाथ पहाड़ी भी कहलाता है, की ख्याति श्रावणी मेला के कारण पूरे देश में है। पर एक अंग्रेज कवि द्वारा जंघीरा (जहांगीरा) की पृष्ठभूमि पर रचित एक महाकाव्य ने इसकी ख्याति पूरी दुनिया में फैला … Read more