गुस्ताख़ी माफ़
गुस्ताख़ी माफ़ 26.4.2024 मंजे-भांडे-कुर्सियां, बिस्तर-टेबल-टेंट। रोज़ रैलियां हो रहीं, बढ़ा दिये हैं रेंट। बढ़ा दिये हैं रेंट, मांग अब हद से फांदी। टेंटों वाले सभी, आजकल कूटें चांदी। कह साहिल कविराय, झाड़ते फिरते पंजे। टेंट रहे ये गाड़, रेंट पर देकर मंजे। प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल