गुस्ताख़ी माफ़
गुस्ताख़ी माफ़ 8.5.2024 बेकारी हो या नशा, मुद्दे सदा बहार। इन पर जा सकते लड़े, कई इलेक्शन यार। कई इलेक्शन यार, नहीं ये हुए पुराने। जो भी आये नया, छेड़ता यही तराने। कह साहिल कविराय, पिसे जनता बेचारी। चक्की के दो पाट, नशा हो या बेकारी। प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल