गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 8.5.2024   बेकारी हो या नशा, मुद्दे सदा बहार। इन पर जा सकते लड़े, कई इलेक्शन यार। कई इलेक्शन यार, नहीं ये हुए पुराने। जो भी आये नया, छेड़ता यही तराने। कह साहिल कविराय, पिसे जनता बेचारी। चक्की के दो पाट, नशा हो या बेकारी।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 7.5.2024   दंगल लगभग सज चुका, पहलवान तैयार। किससे भिड़ना है किसे, साफ़ हुआ सरकार। साफ़ हुआ सरकार, रैफरी जनता अपनी। किसे मिलेगी जीत, मिलेगी किसे पटखनी। कह साहिल कविराय, अबोहर हो या नंगल। सभी सकेंगे देख, महीने भर यह दंगल।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 6.5.2024   जारी होते जा रहे, नित्य घोषणा-पत्र। जाल बिछाने में जुटे, नेता-गण सर्वत्र। नेता-गण सर्वत्र, बताते खुद को माली। सब्ज़ बाग़ में नई, खिला देंगे हरियाली। कह साहिल कविराय, वायदे भारी-भारी। वोटर कैसे पटे, कंपटीशन है जारी।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 5.5.2024   जारी होते जा रहे, नित्य घोषणा-पत्र। जाल बिछाने में जुटे, नेता-गण सर्वत्र। नेता-गण सर्वत्र, बताते खुद को माली। सब्ज़ बाग़ में नई, खिला देंगे हरियाली। कह साहिल कविराय, वायदे भारी-भारी। वोटर कैसे पटे, कंपटीशन है जारी।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 3.5.2024   आतीं चोणें जब निकट, हो जाते बेचैन। टीचर-अफसर-क्लर्क सब, दुखी रहें दिन-रैन। दुखी रहें दिन-रैन, बहाने गढ़ते धाकड़। ड्यूटी कैसे कटे, बेलने पड़ते पापड़। कह साहिल कविराय, यह ड्यूटी बड़ा डराती। बीपी बढ़ने लगे, निकट जब चोणें आतीं।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 28.4.2024   तगड़ा सोशल मीडिया, आओ करें प्रचार। अपने बंदों के बना, खाते कई हज़ार। खाते कई हज़ार, विरोधी को दें गाली। इसी काम पर सभी, लगा दें बंदे खाली। कह साहिल कविराय, लगायें दिन भर रगड़ा। करें झूठ-सच एक, मीडिया सोशल तगड़ा।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 27.4.2024   अच्छी-खासी चल रही, अपनी अगर दुकान। काके को अब दें बिठा, गल्ले पर श्रीमान। गल्ले पर श्रीमान, सियासत धंधा चोखा। कमा करोड़ों रहे, लगाते थे जो खोखा। कह साहिल कविराय, नहीं यह बात ज़रा-सी। अपनी और दुकान, चलेगी अच्छी-खासी।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 26.4.2024   मंजे-भांडे-कुर्सियां, बिस्तर-टेबल-टेंट। रोज़ रैलियां हो रहीं, बढ़ा दिये हैं रेंट। बढ़ा दिये हैं रेंट, मांग अब हद से फांदी। टेंटों वाले सभी, आजकल कूटें चांदी। कह साहिल कविराय, झाड़ते फिरते पंजे। टेंट रहे ये गाड़, रेंट पर देकर मंजे।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

मनुष्य जो बुरा कर्म करता है उसका फल हर कीमत पर चुकाना पड़ता है : महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि महाराज 

रघुनंदन पराशर जैतो —————————- जैतो, 21 अप्रैल : श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि वाणी से मनुष्य किसी को दुश्मन बना सकता है तो किसी को दोस्त भी बना सकता है। अर्थात वाणी से मधुर वचन बोलकर सभी को अपना बनाने … Read more

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 21.4.2024   कहाँ ज़ोर किस जाति का, मुख्य कौन-सा धर्म। लगे परखने-जाँचने, हर हलके का मर्म। हर हलके का मर्म, उतारें ऐसा बंदा। वोट बैंक पर डाल, सके जो पूरा फंदा। कह साहिल कविराय, शर्म को भेजें लानत। जाति-धर्म की गर्म, रही है सदा सियासत।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल