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गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ मानसून भी देखिए, रखता पूरा ध्यान। शंभू में वह जानता, बैठे हुए किसान। बैठे हुए किसान, न आने देंगे अंदर। पठानकोट से अरे, तभी यह घुसा पतंदर। कह साहिल कविराय, अगर यह सीधे आता। या तो होता लेट, नहीं तो रद हो जाता। प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़  8.6.2024   हलवा फीका रह गया, भैया अब की बार। फिर भी मोदी जी रहे, ताल ठोंक ललकार। ताल ठोंक ललकार, किये दस मैंबर क़ाबू। इधर साथ नीतीश, उधर हैं चंदर बाबू। कह साहिल कविराय, यही है इनका जलवा। चीनी ऊपर छिड़क, कर रहे मीठा हलवा।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 3.6.2024   अंदर ईवीएम पड़ीं, खड़ी कर रखी आड़। बाहर कइयों ने रखे, तम्बू अपने गाड़। तम्बू अपने गाड़, कर रहे पहरेदारी। चौकीदारी करें, समर्थक बारी-बारी। कह साहिल कविराय, डटे हैं कई सिकंदर। बाहर तम्बू गड़े, रखीं ईवीएम अंदर।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 30.5.2024   जो भी आकर द्वार पर, वोट रहा है मांग। घर की छत पर है दिया, झंडा उसका टांग। झंडा उसका टांग, भेद ना मन का खोला। वोटें देंगे तुम्हें, सभी से यह ही बोला। कह साहिल कविराय, सभी के हम हैं चाकर। कर देते ख़ुश उसे, मांगता जो भी आकर।   … Read more

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 29.5.2024   झंडे-बैनर-पोस्टर, हुई पड़ी भरमार। पटी हुई है शहर की, हर छत हर दीवार। हर छत हर दीवार, चौखटे सबके छाये। सुंदरता नित नई, शहर की बढ़ती जाये। कह साहिल कविराय, आ रहा है अब संडे। तब तक देखें आप , पोस्टर-बैनर-झंडे।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 25.5.2024   साधे बिन चारा नहीं, कैसे सधें जवान। इन्हें पटाना आजकल, काम नहीं आसान। काम नहीं आसान, न करना झूठे वादे। जागरूक हैं युवा, समझते ग़लत इरादे। कह साहिल कविराय, वोट ये लगभग आधे। कुर्सी दिखती दूर, युवाओं को बिन साधे।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 22.5.2024   जीत हमारी चाहिए, कुछ भी हो श्रीमान। अल्टीमेटम दे दिया, सुनें खोलकर कान। सुनें खोलकर कान, जीतना अपना मक़सद। बंदे हारे अगर, छीन लेंगे मंत्री-पद। कह साहिल कविराय, अगर है कुर्सी प्यारी। चाहे कुछ भी करें, चाहिए जीत हमारी।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 21.5.2024   कर देना हम पर कृपा, खुलकर कृपा निधान। करवा देना पक्ष में, ज़ोरदार मतदान। ज़ोरदार मतदान, वोट जब डालें सारे। सारी हमको पड़ें, कराना वारे-न्यारे। कह साहिल कविराय, झोलियां फुल भर देना। हाथ-पैर सब जुड़े, कृपा खुलकर कर देना।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 15.5.2024   घरवाली ही मित्रवर, होती सबसे ख़ास। बाहरवाली पर करें, कैसे हम विश्वास। कैसे हम विश्वास, साफ़ ना कर दे पत्ता। घरवाली यदि रही, रहेगी घर में सत्ता। कह साहिल कविराय, पराई बाहरवाली। कवरिंग कैंडीडेट, बनाई है घरवाली।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 10.5.2024   पक कर वोटों की फ़सल, खेतों में तैयार। लिये दरांती हाथ में, आ पहुंचा परिवार। आ पहुंचा परिवार, मायका या ससुराली। सारा टब्बर डटा, एक ना बैठा खाली। कह साहिल कविराय, काट कर भर लो दाने। अगले पांचों साल, यही हम सब ने खाने।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल