कहानी : रोशनी के रंग…
मांगीलाल सोलंकी ”मैं अब क्या करूं? इन बच्चों और सास-ससुर को कैसे पालूं? कुछ सुझाई नहीं देता मुझको।“ रूंधे हुये कंठ से बोलते-बोलते सरला रो पड़ी। ऐसा पहली बार ही नहीं हुआ था। जब कभी वह आता, तब कतिपय हेर-फेर के साथ प्राय: ये ही शब्द सरला के मुख से निकलते और इसके साथ … Read more