देश की एकता पर लपकते और शिखा से पादुका तक पैने होते नाखून
आलेख : बादल सरोज ⚫ जाति जनगणना के सवाल पर मनु-जायों का कुनबा बिल्लयाया हुआ है। न उगलते बन रहा है, न निगलते!! हजार मुंह से हजार तरीके की बातें करके ‘चित्त भी मेरी पट्ट भी मेरी’ की सारी कोशिशों के बाद भी ‘अंटा मेरे बाप का’ कहने का दावा करने का आत्मविश्वास नहीं … Read more