कहानी : बच्चे सड़क के
धर्मपाल बच्चे तो बच्चे ही होते हैं घर के हों या सड़क के। बचपन की तरंगें उनके मानस पर छाई रहती हैं। सपने, लाड़-प्यार-खेलने की प्रबल इ’छा। हां… भिन्न-भिन्न परिवेश में उनके मन की अभिव्यक्ति बदल जाती है। उधर ठिकाना है। उपेक्षित मैदान में आपको काफी कदम चलने होंगे। प्रकाश की आड़ी-तिरछी रेखाओं को पार … Read more