क्या शेष है मेरे पास ?
कहानी डॉ. गोपाल नारायण आवटे पूरे तीस साल बरस बाद हम एक जगह मिल रहे थे। इस बीच कई बार, पत्रों से, फिर टेलीफोन से, फिर मोबाइल फोन से हमारी बातचीत होती रही, लेकिन अक्सर बातचीत घुमा-फिराकर आ ठहरती थी, गुरुजी पर। हम तीनों ने एक मत से यह बात तय कर ली … Read more