चाँद मियां से चाँद तक का सफर
रोजाना लिखकर दिहाड़ी कमाने वाले हम जैसे लोग आजकल चकरघिन्नी बने हुए है । लिखने के लिए इतने मुद्दे और विषय कुकुरमुत्तों की तरह उग आते हैं। तय कर पाना कठिन हो जाता है कि कौन से मुद्दे पर लिखा जाये और कौन से छोड़ दिया जाये ? आज भी समाने चाँद मियां हैं, गांधी … Read more