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सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने की आवश्यकता

कुमार कृष्णन लोक कल्याणकारी राज्य में स्वास्थ्य का सवाल सरकार की संवैधानिक जवाबदेही है ले​किन हो रहा है इसके विपरीत। स्वस्थ लोकतंत्र में सरकार की सारी नीतियां सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किये जाने की होनी चाहिए। जन विरोधी,कारपोरेट संचालित स्वास्थ्य एजेंडा, लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के प्रति आवश्यक संवेदनशीलता का अभाव आर्थिक लूट खसोट … Read more

सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने की आवश्यकता

कुमार कृष्णन लोक कल्याणकारी राज्य में स्वास्थ्य का सवाल सरकार की संवैधानिक जवाबदेही है ले​किन हो रहा है इसके विपरीत। स्वस्थ लोकतंत्र में सरकार की सारी नीतियां सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किये जाने की होनी चाहिए। जन विरोधी,कारपोरेट संचालित स्वास्थ्य एजेंडा, लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के प्रति आवश्यक संवेदनशीलता का अभाव आर्थिक लूट खसोट … Read more

इम्पाला लिली: मरुस्थलीय गुलाब

डॉ. मोनिका रघुवंशी *प्राकृतिक उपहार* इस फूल की लोकप्रियता उसके प्राकृतिक आवास से बाहर फैल गई है, इसे डाक टिकटों पर दर्ज किया गया है और संगीत में भी इसका उल्लेख है। उपहार के रूप में, यह खुशहाली और स्थिरता का संकेत देता है, जिससे यह प्रेम का प्रतीक बन गया है। *पारंपरिक प्रतीक* मरुस्थलीय … Read more

समाज में भीड़ तंत्र बनाकर राजनीतिक फायदा उठाने का प्रचलन बढ़ रहा है 

कानूनी फैसला पारित करने की शक्ति केवल न्यायपालिका के पास होती है   किसी भी घटना पर आरोपियों को मौत या फांसी की सजा का आश्वासन कोई कैसे दे सकता है?क्या पूरी न्यायिक प्रक्रिया को कोई अनदेखा कर सकता है?- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया   गोंदिया – वैश्विक स्तरपर सबसे बड़े भारतीय लोकतंत्र और … Read more

धैर्य और संकल्प का प्रतीक: दरुमा गुड़िया की प्रेरणादायक कहानी

लेखिका: नैना जैन   कहानी की दुनिया में एक समय था, जब जापान के एक छोटे से काल्पनिक गाँव में एक संत रहा करते थे, जिनका नाम था “दरुमा”। दरुमा संत अपने अद्भुत ज्ञान और अटूट धैर्य के लिए जाने जाते थे। गाँव के लोग उन्हें अपने मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत के रूप में मानते … Read more

इस ‘ लिंचिंग ‘ पर भी बोलना पड़ेगा आपको

अक्सर मेरे तमाम मित्र मुझसे हिंसा और बलात्कार की हर वारदात पर लिखने की अपेक्षा रखते है। अधिकांश अंधभक्तों की अपेक्षा होती है कि कोई लेखक हो,विपक्ष का नेता हो वो सबसे पहले हिन्दुओं पर बोले,बंगाल पर बोले लेकिन उत्तरप्रदेश या डबल इंजिन की सरकार वाले किसी सूबे के बारे में न बोले। लेकिन हमारी … Read more

पुस्तक चर्चा : नाटकीयता से परे जमीनी हकीकत का बेहतरीन उपन्यास “औघड़”

विवेक रंजन श्रीवास्तव   हिन्द युग्म “नई वाली हिंदी” का जश्न मनाने वाले युवाओं द्वारा प्रारंभ की गई साहित्यिक यात्रा का मंच है । ब्लागिंग के प्रारंभिक दिनों में शैलेश भारतवासी ने हिन्दयुग्म प्रकाशन शुरु किया था । काव्य पल्लवन ब्लाग से मैं भी हिन्द युग्म के प्रारंभिक समय से जुडा रहा हूं । हिन्द … Read more

चिकुन गुनिया के उपचार में लाभदायक है आयुर्वेद व पंचकर्म

डाॅॅ. जी. एम. ममतानी,डाॅ. अंजू ममतानी कोविड महामारी का कहर आज भी लोगों के मन-मस्तिष्क में बसा है। वर्षाऋतु के आगमन के साथ अनेक रोग मनुष्य को विचलित कर रहे हैं जैसे चिकुनगुनिया, डेंगू, वायरल फीवर, गैस्ट्रो इत्यादि। आज हर घर में कोई न कोई चिकुन गुनिया या डेंगू या वायरल बुखार से त्रस्त है … Read more

आधुनिकता की अंधी दौड़ में टूटते रिश्ते

वैदेही कोठारी   हमारा समाज रिश्तों का ताना-बाना है। अर्थात रिश्तों का जाल है। हर जगह हम रिश्ते बना लेते हैं। जैसे ट्रेन, बस, मार्केट या सामान्य जगहों पर हम किसी से बात करते हैं तो काका-काकी या मामा-मामी या दीदी-भैया करके सम्बोधित करने लगते हैं, फिर चाहे वह हमारा रिश्तेदार हो या न हो। … Read more

फिल्मी जगत के आसमान के तारे गीतकार शैलेन्द्र

सुशील गिरधर ‘शीलू’ आवारा हूं या गर्दिश में हूं आसमान का तारा हूं … (आवारा) है सबसे मधुर वो गीत… (पतिता) नन्हें-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है… (बूटपॉलिश), तू प्यार का सागर हैं… (सीमा), मेरा जूता है जापानी… (श्री 420), जहां मैं जाती हूं, वहीं चले आते हो… (चोरी-चोरी), सुहाना सफर और ये मौसम … Read more