सीएम मान का स्कूली शिक्षा में सुधार का वादा क्या जुमलेबाजी थी, 241 सरकारी स्कूल होते अपग्रेड
चंडीगढ़ 7 जुलाई। पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने सत्ता में आने से पहले जनहित में लुभावने दावे किए थे। इनमें स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारने का वादा सबसे अहम था। हालांकि अब आप सरकार ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम एसएचआरआई) योजना से ही किनार कर लिया। हांलाकि इस हैरान करने वाले फैसले की कोई ठोस वजह पता नहीं चल सकी है।जानकारी के मुताबिक केंद्रीय सचिव, स्कूल शिक्षा और भाषा संजय कुमार की अध्यक्षता में पीएम एसएचआरआई परियोजना अनुमोदन बोर्ड (पीएबी) की बैठक प्रस्तावित थी। इससे पहले ही पंजाब के अधिकारियों द्वारा केंद्र प्रायोजित योजना से बाहर निकलने के निर्णय के बारे में लिखित रूप में केंद्र सरकार को अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि राज्य ने शुरुआत में केंद्र प्रायोजित योजना के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (एमओई) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे। इस योजना का उद्देश्य स्कूलों को मॉडल संस्थानों के रूप में उन्नत करना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की भावना को समाहित करना है।केंद्रीय मंत्रालय ने पारदर्शी चुनौती पद्धति का उपयोग करके इस परियोजना के लिए पंजाब के 241 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों का चयन किया था। जिसमें स्कूलों ने ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन किया था। जबकि राज्य सरकार द्वारा ऐसा नहीं करने का निर्णय लेने के बाद इस योजना के तहत राज्य के स्कूलों के लिए कोई धनराशि की सिफारिश नहीं की गई। वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा आधा दर्जन केंद्रीय मंत्रालयों और सभी राज्य सरकारों को 18 जुलाई की प्रस्तावित बैठक के विवरण भेजे। जिसके अनुसार पंजाब राज्य ने पीएम एसएचआरआई योजना में शामिल होने की अनिच्छा दिखाते हुए एक पत्र भेजा है।
एजुकेशन-अफसरों ने साधी चुप्पी : इस मुद्दे पर पंजाब के स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी इस योजना से बाहर निकलने के कारणों के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं। हद ये कि स्कूल शिक्षा महानिदेशक (डीजीएसई)-सह-विशेष सचिव, स्कूल शिक्षा, विनय बुबलानी ने इस संबंध में आई कॉल या मैसेज का जवाब तक नहीं दिया।
कमजोर दलील दी गई ! इस महत्वपूर्ण केंद्रीय योजना से जुड़े सूत्र कुछ और ही बताते हैं। उनके मुताबिक पंजाब सरकार ने इस योजना में शामिल न होने का कारण स्कूलों के उन्नयन के लिए राज्य में पहले से ही लागू किए जा रहे कई कार्यक्रमों का हवाला दिया है। राज्य सरकार ने हाल ही में राज्य में अपना ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ कार्यक्रम शुरू किया है।
महत्वकांक्षी योजना राजनीति की शिकार : इस योजना से बाहर निकलकर आप सरकार कई गैर-भाजपा शासित राज्यों में शामिल हो गई है, जो इस योजना में भाग नहीं ले रहे हैं।इस साल एक अप्रैल तक पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, ओडिशा, बिहार और तमिलनाडु सहित छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अभी भी केंद्रीय मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना था। योजना के तहत पहले चरण में जम्मू-कश्मीर से 233 स्कूल, हरियाणा से 124 स्कूल, लद्दाख से 14 स्कूल और चंडीगढ़ से एक स्कूल का चयन किया गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस साल मार्च में केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। शिक्षा सचिव डॉ अभिषेक जैन के मुताबिक अगले दौर में स्लॉट उपलब्ध होने पर हम आवेदन करेंगे। केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से 60:40 के अनुपात में इस योजना को वित्त-पोषित करेंगी।योजना का बजट : अपनी 18 जुलाई की बैठक में पीएबी ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 6,207 सरकारी स्कूलों, केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों के लिए ₹3,395 करोड़ के बजट की सिफारिश की। पहले दौर में चुने गए स्कूलों में 863 प्राथमिक, 1,533 प्रारंभिक और 3,811 माध्यमिक स्कूल शामिल हैं।
यह है पीएम-श्री योजना : अगले पांच वर्षों में 14,500 स्कूलों के उन्नयन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 सितंबर, 2022 को इस योजना की घोषणा की थी। केंद्रीय कैबिनेट ने इसके लिए 27,360 करोड़ के बजट को मंजूरी दी थी। जिसमें से 18,128 करोड़ का केंद्रीय हिस्सा शामिल है।