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मुद्दे की बात : बेलगाम होती ईडी से खफा सुप्रीम कोर्ट

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ईडी पर लगाम क्यों कसी सुप्रीम कोर्ट ने ?

सुप्रीम कोर्ट ने वीरवार को एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानि  ईडी पर एकतरह से लगाम कस दी। सर्वोच्च न्यायालय ने बड़ी टिप्पणी करते हुए ईडी द्वारा गिरफ्तारी को लेकर खास नसीहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए कानून के प्रावधानों के तहत अगर विशेष अदालत ने शिकायत पर स्वतः संज्ञान ले लिया है तो फिर ईडी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है।

गौरतलब पहलू है कि सुप्रीम कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि ईडी को अगर आरोपी को हिरासत में लेना है तो उसे पहले संबंधित कोर्ट में आवेदन देना होगा। आवेदन से संतुष्ट होने के बाद ही अदालत द्वारा ईडी को आरोपी की हिरासत दी जाएगी। याचिकाकर्ता ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के दिसंबर, 2023 के आदेश को चुनौती दी थी। अदालत ने यह टिप्पणी इस सवाल से निपटने के दौरान की कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को जमानत के लिए कड़े दोहरे परीक्षण से गुजरना पड़ता है। यहां तक ​​कि उन मामलों में भी, जहां विशेष अदालत अपराध का संज्ञान लेती है।

यहां बता दें कि कुछ दिनों पहले एक सुनवाई के दौरान जस्टिस ओका ने इस बाबत अहम टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि शिकायत दर्ज होने के बाद ईडी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी सामने के बाद कानूनी-जानकार मान रहे हैं कि सर्वोच्च अदालत ने अपरोक्ष रुप से ईडी को कानूनी-हद में रहने की हिदायत ही दी है। काबिलेजिक्र है कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल की अंतरिम जमानत को लेकर ईडी ने इसके विरोध में एक हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था। तब केजरीवाल के वकील अभिषेक मनुसिंघवी ने जमानत के विरोध के तरीके को लेकर आपत्ति दर्ज कराते ईडी पर अवमानना करने जैसा गंभीर आरोप लगाया था। दूसरी तरफ सिंघवी जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं के हवाले देकर विपक्षी दल केंद्र सरकार पर शुरु से ईडी को सुपर-पावर देने का विरोध करते आ रहे हैं।

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