जनहितैषी, 13 जून, लखनउ/छिबरामउ। उत्तर प्रदेश में “नकलीपन” अब केवल सामानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सार्वजनिक सेवाओं की रीढ़ कही जाने वाली रोडवेज तक को चकमा देने में अपराधियों ने महारत हासिल कर ली है। नकली पेप्सी, नकली लेक्मी क्रीम और नकली जींस के बाद अब मामला वहां पहुंच चुका है जहाँ डग्गामार बस चालकों ने सरकारी रोडवेज की हूबहू कॉपी तैयार कर दी — और वह भी लखनऊ-दिल्ली “राजधानी एक्सप्रेस” के नाम पर!
छिबरामऊ कोतवाली क्षेत्र में पीटीओ की छापेमारी के दौरान दो ऐसी फर्जी बसें पकड़ी गईं, जो आम नागरिकों को धोखा देकर सरकारी रोडवेज के नाम पर सड़क पर फर्राटा भर रही थीं। इन बसों पर बाकायदा “उत्तर प्रदेश लखनऊ-दिल्ली आनंद विहार राजधानी एक्सप्रेस” लिखा हुआ था। रंग, डिज़ाइन, नंबर प्लेट से लेकर चालक-परिचालक की वर्दी तक – सब कुछ ऐसा था कि आम आदमी क्या, परिवहन अधिकारी तक चकरा जाएं।
जब पीटीओ की टीम ने इन पर छापा मारा, तो विभाग खुद हैरान रह गया कि यह फर्जीवाड़ा कितनी गहराई से जड़ें जमा चुका है। यह कोई मामूली ठगी नहीं, बल्कि सिस्टम को आईना दिखाने वाला ‘जुगाड़वाद’ है जो यह दर्शाता है कि कानून अब जुगाड़ से भी कमजोर पड़ चुका है।
इन बसों के मालिकों ने कार्रवाई से बचने और ज्यादा किराया वसूलने के लिए सरकारी बस जैसा रंग-रोगन करवाया, सरकारी नाम-पहचान चस्पा की और बस! लोग यह सोचकर सवार हो जाते कि ये रोडवेज की भरोसेमंद सेवा है, जबकि हकीकत में वे एक अवैध, असुरक्षित और गैर-जिम्मेदार सिस्टम का हिस्सा बन चुके होते।
यह सवाल न केवल परिवहन विभाग की कार्यशैली पर उठता है, बल्कि पूरे सरकारी निगरानी तंत्र पर भी। आखिर ये बसें कब से चल रही थीं? कितने चेक पोस्ट पार किए? कितने यात्रियों को धोखा दिया गया? और सबसे जरूरी, कितने और नकली बसें आज भी बेधड़क चल रही होंगी?
यह घटना बताती है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ नकली प्रोडक्ट ही नहीं, नकली व्यवस्था भी असली बनकर जनता की आंखों में धूल झोंक रही है। ऐसे में सिर्फ दो बसें सीज कर देना पर्याप्त नहीं है। ज़रूरत है राज्य स्तरीय जांच और बड़े रैकेट को बेनकाब करने की। नहीं तो कल को नकली पुलिस, नकली अस्पताल और नकली कोर्ट भी दिख जाएं तो आश्चर्य नहीं होगा।
सवाल यह है: क्या सरकार इस ‘नकली राज्य व्यवस्था’ को असली चुनौती मानेगी? या फिर ‘राजधानी एक्सप्रेस’ की यह नकली रफ्तार ऐसे ही बेलगाम दौड़ती रहेगी?
नकली पेप्सी, नकली लेक्मी, नकली जींस के बाद यूपी में भाई लोगों ने रोडवेज की नकली बस ही तैयार कर ली। फिलहाल अधिकारियों ने दो नकली बसों को पकड़ा है और न जाने कितनी नकली बसे यूपी की सड़कों पर फर्राटा भर रही होंगी पता नहीं।