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भेड़ियों के खौफ पर जांच पड़ताल करती सुपर एक्सक्लूसिव स्टोरी 

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ग्रामीणों के सामने जीने—मरने का सवाल है, एक तरफ खेत खलियान तो दूसरी तरफ परिवार है।

मुॅह नुचवा और चोटी कटवा से ज्यादा खौफ है लगड़े भेड़िये का

लाख टके का सवाल जिम्मेदार कौन?

नहीं पकड़ में आ रहा लगड़ा भेड़िया, लोकेशन के साथ तौर—तरीके भी बदल रहा है शिकार के!

 

आखिर… किस जन्म का बदला ले रहा है भेड़ियों का झुंड

 

शबी हैदर

 

लखनऊ 18 सितम्बर  । बहराइच में आदमखोर भेड़ियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। ग्रामीणों के सामने जीने और मरने का सवाल है। एक तरफ खेत खलियान तो दूसरी तरफ परिवार है। सवाल यही कि खेत पर जाकर फसल की रखवाली करें या फिर घर में रहकर परिवार की? प्रशासन ने स्थिति पर कंट्रोल करने के लिए पूरी ताकत झोक दी है। तकनीक से लेकर पराम्परिक तौर तरीके सभी को आजमा लिया है लेकिन भेड़ियों के झुड का सबसे शातिर भेड़िया जो लंगड़ा है वह पकड़ में नहीं आ रहा है। यह हाल तब है जब खुद डीएफओ स्पीकर लेकर खेत—खलियान टहल रहे हो।

 

बहराइच में पांचवें भेड़िये के पकड़े जाने के बाद अब बचा छठा भेड़िया लगातार महिलाओं और बच्चों को अपना निशाना बना रहा है। बहराइच के महसी इलाके में भेड़िये अब तक 10 लोगों को अपना निशाना बना चुके हैं। आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने के लिए ऑपरेशन भेड़िया चलाया जा रहा है। ऑपरेशन भेड़िया के तहत वन विभाग की 16 टीमें इलाके में तैनात की गई हैं। इस अभियान के तहत ड्रोन कैमरे, इंफ्रारेड कैमरे और थर्मल इमेजिंग कैमरे की मदद से भेड़ियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है। भेड़ि‍यों से बचने के ल‍िए वन विभाग की टीमें और स्थानीय लोग रोज रात गश्‍त करते हैं और लोगों से रात में बाहर न सोने और बच्‍चों को अकेला न छोड़ने की अपील कर रहे हैं। आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने के वन विभाग की टीमें दिन-रात प्रयास कर रही हैं और नई तकनीक का प्रयोग कर रही हैं।

 

बचाव अभियान को लेकर डीएफओ बहराइच अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि हम फील्ड में जाकर देखते हैं क‍ि भेड़ि‍ये चलते कैसे हैं, ये किस तरह से रहते हैं? वन विभाग की टीम जब ड्रोन कैमरे का उपयोग कर इन्‍हें देखने की कोशिश करती है, तो धूप और भौगोलिक दशा के कारण साफ नहीं दिख पाता। फ‍िर भी हम कोशिश में लगे रहते हैं। फील्ड में भटकने के दौरान इनके बड़े-बड़े मांद द‍िखाई देते हैं। ये उसी में रहते हैं। रात में ये हमलावर हो जाते हैं। उन्होंने अपने दर्द को बयां करते हुए कहा क‍ि द‍िन भर भटकने के बाद जब भेड़िये गिरफ्त में नहीं आ पाते, तो नि‍राशा के साथ वापस लौटना पड़ता है। यह सिलसिला एक महीने से चल रहा है।

 

उल्लेखनीय है कि स्थानीय प्रशासन ऑपरेशन भेड़िया को सफल बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन बहराइच के महसी की भौगोलिक स्थिति और प‍िछड़ेपन के कारण तकनीक और कड़ी निगरानी भी फेल हो जाती है। यहां ज्यादातर घरों में दरवाजे नहीं हैं। इलाके में बिजली की सुविधा भी नहीं है। स्थानीय विधायक ने उस परिवार के घर के पास सोलर लाइट तब लगवाई, जब आदमखोर ने उसके बच्चे पर हमला कर जान ले ली। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये इलाका कितने पिछड़ेपन से जूझ रहा है। यहां आम जनता और महिलाओं को भी जागरूक किया जा रहा है। प्रभावित गांवों में जिन घरों में शौचालय नहीं हैं, वहां शौचालय की व्यवस्था की जा रही है। गांवों में रोशनी के लिए सोलर लाइट लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

 

महाप्रबंधक वन विभाग संजय पाठक के मुताबिक भेड़िया का चाल चलन

 

-भेड़िया शर्मिला जानवर है और परिवार की परंपरा का पालन करता है।

-यह इकलौता जानवर है जिसमें नर-मादा के ही नहीं, भाई-बहन का भी रिश्ता होता है।

-भेड़िया कभी अपने परिवार के सदस्य से मेटिंग नहीं करता।

-भेड़िया बदला लेने वाला जानवर है। अगर कभी किसी भी गांव या क्षेत्र में भेड़िए के परिवार को नुकसान हुआ है तो वह बदला लेने जरूर आता है। चाहें एक दशक लग जाये।

-भेड़िया 20 किलोमीटर तक बिना रुके दौड़ सकता है। इंसान के मुकाबले उसकी सूंघने की क्षमता 100 गुना होती है।

-भेड़िए को सिर्फ दो रंग में ही दिखता है। या तो पीला या हरा।

-ये जानवर रात के अंधेरे में भी देख सकता है, इसलिए रात को ही हमला करता है।

-भेड़िया कभी अलग नहीं चलता, ग्रुप में रहता है और उस ग्रुप का लीडर जो आदेश देता है, उसका पालन ये करते हैं।

-इनके परिवार का कोई सदस्य अगर पकड़ जाए तो ये और भी हमलावर हो जाते हैं।

 

-भेड़िए भूखे होने पर कम, असुरक्षित महसूस करने पर ज्यादा हमला करते हैं।

-बहराइच, सीतापुर, खीरी, शाहजहांपुर और सुल्तानपुर में इनके हमले की खबरें आ रही हैं।

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