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शिअद का वजूद बचाने को पूरी ताकत झोंक रहे सुखबीर भाजपा से गठजोड़ न होने के चलते बड़ी सियासी-चुनौती

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पंजाब बचाओ यात्रा लेकर अब आठ अप्रैल को लुधियाना

पहुंचेंगे काफिले के साथ शिअद मुखिया सुखबीर बादल

 

नदीम अंसारी

लुधियाना/यूटर्न/31 मार्च। शिरोमणि अकाली दल-बादल के लिए यह लोकसभा चुनाव राजनीतिक अग्नि-परीक्षा माना जा रहा है। भाजपा से चुनावी-गठजोड़ न होने की वजह से पार्टी के मुखिया सुखबीर बादल के लिए एक बड़ी चुनौती है। वह किसी सूरत में पार्टी का सियासी-वजूद बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

जानकारों की मानें तो शिअद की पंजाब बचाओ यात्रा हकीकत में इसी रणनीति का हिस्सा है। जिसकी कमान खुद ही छोटे-बादल ने संभाल रखी है। वह अब यह यात्रा लेकर 8 अप्रैल को लुधियाना पहुंचेंगे। इस यात्रा के जरिए वह लुधियाना के अलावा आसपास के हल्कों को भी टच करेंगे। तय रुट प्लान के मुताबिक 8 अप्रैल को उनकी यात्रा समराला पहुंचेगी। जहां सुबह से लेकर रात  तक कई इलाके कवर करने की योजना है।

जबकि अगले दिन 9 अप्रैल की सुबह यात्रा साहनेवाल हल्के में पहुंचेगी। उसी दिन पायल हल्के में दाखिल होने की योजना है। यहां गौरतलब है कि पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने एक फरवरी को अटारी से इस यात्रा की शुरुआत की थी। हालांकि किसान आंदोलन के चलते यात्रा 13 फरवरी से कुछ दिनों के लिए रोक दी गई थी। उसके बाद अब 11 मार्च को श्री मुक्तसर साहिब के गिद्दड़बाहा हल्के से यात्रा फिर से शुरू की गई। बैसाखी तक इस यात्रा का दूसर चरण पूरा कर लेने की रणनीति बनाई गई है।

कांग्रेस भी कर चुकी है यह राजनीतिक-प्रयोग :

पंजाब के मुख्यमंत्री रहते कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी विशेष रथ पर सवार होकर सूबे में राजनीतिक यात्रा की थी। हालांकि एंटी-इंकमबेंसी के चलते कांग्रेस को इसका बहुत बड़ा सियासी फायदा नहीं मिल सका था। वैसे आम लोगों से दूरी रखने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उस यात्रा के जरिए अपनी वीवीआईपी वाली इमेज को तोड़ने का भरसक प्रयास किया था। जानकार मान रहे हैं कि शिअद मुखिया सुखबीर बादल भी दो बार सत्ता में रहने के दौरान टकसाली अकाली वर्करों से किसी हद तक दूर हो गए थे। शायद वह भी अब अपनी यात्रा के जरिए ही नाराज वर्करों को मनाने की कवायद भी कर रहे हैं।

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