रहें अलर्ट ! पहाड़ी राज्यों में सेहतमंद जिंदगी की तलाश में जाने वाले, वहां भी हवा-पानी और जमीन में घुल रहा ‘जहर’

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चिंताजनक : हिमाचल प्रदेश में कैंसर के मामले बढ़ रहे, जनसंख्या के हिसाब से देश में दूसरे नंबर पर

चंडीगढ़, 23 अगस्त। आमतौर पर लोग सेहतमंद जिंदगी की तलाश में पहाड़ी राज्यों का रुख करते हैं। जबकि जमीनी हकीकत इसके एकदम उलट है। आबादी के हिसाब से पूर्वोत्तर राज्यों के बाद हिमाचल प्रदेश कैंसर के मामले में दूसरे नंबर पर है।

जानकारी के मुताबिक हिमाचल के गगरेट विधानसभा हल्के से विधायक राकेश कलाई विधानसभा सेशन में यह मुद्दा उठाया। जिसके जवाब में सीएम सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि हिमाचल में कैंसर के मामले देश में दूसरे नंबर पर हैं। कैंसर के मामलों में वृद्धि को देखते हुए, हमीरपुर में 300 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक संस्थान की स्थापना के लिए प्रसिद्ध विशेषज्ञों से परामर्श किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी मेडिकल कॉलेजों में इलाज उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। कीटनाशकों और यूरिया का अत्याधिक उपयोग हिमाचल में बढ़ते कैंसर के मामलों का एक मुख्य कारण है। घटिया कीटनाशकों की बिक्री पर रोक लगाने के प्रयास किए जाएंगे। अधिकांश स्वास्थ्य संस्थानों में उपकरणों के पुराने होने की बात स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि कांगड़ा के टांडा मैडिकल कॉलेज में अक्टूबर तक और चरणबद्ध तरीके से अन्य सभी मैडिकल कॉलेजों में पीईटी स्कैन सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी। सभी जिला अस्पतालों में कीमोथेरेपी उपलब्ध कराई जा रही है। अब यह सुविधा मंडी के क्षेत्रीय अस्पताल और सरकाघाट के नागरिक अस्पताल तक बढ़ा दी गई है।

शिमला और मंडी ज़िले सूची में सबसे ऊपर :

सदन में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में कैंसर के कुल 2,428 मामले, 2023 में 2,362 और 2024 में 1,836 मामले दर्ज किए गए। ज़िलों में, 2024 में शिमला में सबसे ज़्यादा 493 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद मंडी में 425, कुल्लू में 210, सोलन में 128, चंबा में 124, सिरमौर में 116, हमीरपुर में 101, कांगड़ा में 90, चंबा में 72, किन्नौर में 38, ऊना में 26 और लाहौल-स्पीति में 13 मामले दर्ज किए गए। इस पर चिंता जताते ठियोग विधायक कुलदीप राठौर ने कहा कि कैंसर के मामलों की खासकर मंडी और शिमला ज़िलों के लिए बेहद गंभीर पहलू है। उन्होंने कहा, गैर-ब्रांडेड कंपनियां ऐसे कीटनाशक बेच रही हैं, जो बेहद हानिकारक हैं। सरकार को ऐसे घटिया कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। सिक्किम की तरह लोगों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

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