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भारत से अंतरिक्ष पर्यटन वास्तविकता बनेगा तो लेकिन अभी कोई समय सीमा तय नहीं

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केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ.जितेंदर ने सांसद अरोड़ा के इस बारे में बजट सत्र के दौरान किए सवालों के दिए जवाब

लुधियाना 28 जुलाई। इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन यानि इसरो ने सब-ऑर्बिटल स्पेस टूरिज्म मिशन के लिए कुछ टेक्निकल फिजिबिलिटी स्टडी की हैं। इन अध्ययनों के परिणामों में सुरक्षित पर्यटन के लिए अंतरिक्ष मॉड्यूल की बुनियादी संरचना और मॉड्यूल को

लॉन्च करने के लिए एक तरल प्रणोदक चरण बूस्टर शामिल हैं।
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने जवाब में इसका उल्लेख किया। वह लुधियाना से राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा द्वारा बजट सत्र में अंतरिक्ष पर्यटन के लिए अध्ययन पर पूछे सवालों का जवाब दे रहे थे। मंत्री ने बताया कि अंतरिक्ष पर्यटन की व्यावसायिक संभावनाओं को देखते हुए, अंतरिक्ष विभाग न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के माध्यम से इसके वाणिज्यिक दोहन की परिकल्पना कर रहा है।
सांसद अरोड़ा ने गगनयान मिशन की उपलब्धि की स्थिति; उप-कक्षीय अंतरिक्ष पर्यटन मिशन के लिए व्यवहार्यता अध्ययन के परिणाम व इसके लिए अपेक्षित समय-सीमा के बारे में पूछा था। मंत्री ने आगे बताया कि गगनयान कार्यक्रम की प्रमुख उपलब्धि यह है कि प्रक्षेपण यान के मानव मूल्यांकन के लिए ठोस, द्रव और क्रायोजेनिक इंजन सहित प्रणोदन चरणों का जमीनी परीक्षण पूरा हो चुका है। क्रू-मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल संरचना का डिजाइन पूरा हो गया है। विभिन्न पैराशूट प्रणालियों का परीक्षण एकीकृत मुख्य पैराशूट एयर ड्रॉप परीक्षण और रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज परीक्षण के माध्यम से किया गया है। मंत्री ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीन में से दो सेमेस्टर पूरे हो चुके हैं। स्वतंत्र प्रशिक्षण सिम्युलेटर और स्टेटिक मॉकअप सिम्युलेटर का निर्माण हो चुका है। मानव-रेटेड लॉन्च वाहन के सॉलिड और लिक्विड प्रोपल्शन चरण उड़ान एकीकरण के लिए तैयार हैं।
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