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समाजसेवियों का दावा डाइंग यूनिट कर रहे पानी गंदा, लगाएंगे बांध, इंडस्ट्री ने कहा – एक लाख लोग ब्लैकमेलरों के स्वागत में तैयार

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लुधियाना डाइंग इंडस्ट्री व काला पानी मोर्चा के सदस्य आमने सामने

लुधियाना 28 नवंबर। बुड्‌ढे नाले की गंदगी को लेकर एक तरफ समाजसेवी लक्खा सिधाना व काला पानी मोर्चा के सदस्यों द्वारा डाइंग इंडस्ट्री को कसूरवार माना जा रहा है। जिसके चलते लक्खा सिधाना की और से गुरुद्वारा गोघाट साहिब में 3 दिसंबर को बुड्ढा दरिया को मिट्टी डालकर बंद करने का ऐलान किया है। हालांकि इस ऐलान के बाद यह विवाद बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते वीरवार को डाइंग इंडस्ट्री के सभी कारोबारियों की और से प्रैस कांफ्रेस की गई। जिसमें उन्होंने लक्खा सिधाना समेत अन्य विरोध करने वाले समाजसेवियों को ब्लैकमेलर कहा है। उन्होंने आरोप लगाए कि यह लोग ब्लैकमेल कर रहे हैं। यहां तक कि इंडस्ट्री मालिकों द्वारा तीन दिसंबर को बुड्‌ढे नाले को बंद करने के लिए आने वाले लोगों का डटकर सामना करने का ऐलान किया है। इस ऐलान के बाद अब यह विवाद लगातार बिगड़ता जा रहा है। अब देखना होगा कि इस मामले में प्रशासन द्वारा क्या एक्शन लिया जाता है। इस प्रैस कांफ्रेस में बॉबी जिंदल, राहुल वर्मा, सुनील वर्मा, रजनीश गुप्ता, सुभाष सैनी, विशाल जैन, प्रीतपाल भल्ला, अंकित सिंगला, जीपी सिंह, बिट्टू नवकार मौजूद थे।

दो जगह लगाए जाएंगे बांध
लक्खा सिधाना और पब्लिक एक्शन कमेटी के मेंबर कुलदीप खैहरा, कपिल अरोड़ा व अन्य लोगों ने ऐलान किया है कि 3 दिसंबर को बुड्ढा दरिया को मिट्टी डालकर बंद कर दिया जाएगा। सिधाना ने लोगों से अपील की है कि 3 दिसंबर को फिरोजपुर रोड वेरका मिल्क प्लांट के पास सुबह 10 बजे एकत्रित हों। यदि प्रशासन लोगों को आने से रोकता है तो जहां भी लोग हो वहीं जाम लगाकर सड़क जाम कर दें। इसी के साथ सिधाना ने कहा कि शहर के मुख्य दो पाइंट जिनमें फोकल पाइंट और ताजपुर रोड पर बांध लगाकर इसे बंद किया जाएगा। लक्खा सिधाना ने कहा कि डाइंग इंडस्ट्री बुड्ढा दरिया में केमिकल युक्त पानी गिरा रही है जिस कारण बुड्ढा दरिया दूषित हो रहा है। लोगों में कैंसर की बीमारी फैल रही है।

सरकार ने ही लगवाए सीईटीपी, अब कह रहे गलत
जानकारी के अनुसार डाइंग इंडस्ट्री को सीईटीपी प्लांट लगाने के लिए सरकार ने ही आदेश दिए थे। लेकिन अब सरकारी अफसर ही इन प्लांटों के जरिए प्रदूषण फैलने के दावे कर रहे हैं। बता दें कि सीईटीपी प्लांट लगाने में केंद्र व राज्य सरकार ने भी फंड दिया था। अगर प्लांट लगाना गलत होता तो सरकारों द्वारा फंड कैसे जारी कर दिया गया। यह प्लांट सही थे, तभी सरकार ने फंडिंग की थी।

2012 में सरकार ने बनानी थी नहर
जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार 2012 में ईरीगेशन चैनल बनाने का प्रोजेक्ट लाई थी। जिससे सीईटीपी व एसटीपी प्लांटों का ट्रीटेंड पानी आगे खेतीबाड़ी के लिए इस्तेमाल किया जाना था। जिसके लिए बकायदा नहर बनाई जानी थी। वह प्रोजेक्ट पास हो गया। डाइंग इंडस्ट्री ने अपने प्लांट लगा लिए। लेकिन सरकार द्वारा नहर नहीं बनाई गई। जिसके चलते सीईटीपी प्लांटों का पानी दरिया में जा रहा है।

क्या अमृतसर की इंडस्ट्री भी होगी बंद
बता दें कि लुधियाना में एक लाख डाइंग कारोबारी है। वहीं इसी के साथ में टेक्सटाइल इंडस्ट्री अमृतसर में भी चल रही है। वहां पर कोई दिक्कत नहीं है। कारोबारियों का कहना है कि अगर काला पानी मोर्चा को टेक्सटाइल इंडस्ट्री से दिक्कत है तो क्या अमृतसर की इंडस्ट्री भी बंद करवाई जाएगी। अकेले लुधियाना की ही इंडस्ट्री पर ही क्यों फोक्स किया जा रहा है।

लड़ाई किसी मामले का हल नहीं
डाइंग कारोबारी अशोक मक्कड़ ने कहा कि लड़ाई किसी मामले का हल नहीं है। प्रदूषण साफ रखना हर किसी का फर्ज है। लेकिन वह पहले देखें तो सही कि कसूर किसका है। विरोध करने वाले लोग पहले हमारे साथ आकर बातचीत करें, मीटिंग करें। ताकि हम अपनी बात और सच उनके सामने रख सके। लेकिन इस तरह विरोध करना कानून के खिलाफ है।
एक लाख लोग करेगें मोर्चे का स्वागत
कारोबारी कमल चौहान लक्खा सिधाना समेत कुछ ब्लैकमेल काला पानी मोर्चा लोगों को भड़का रहे हैं कि तीन दिसंबर को बुड्‌ढे नाले पर बांध लगाए जाएंगे। लेकिन हम तैयारी कर चुके हैं। एक लाख व्यक्ति उनके स्वागत के लिए मौजूद रहेगा। लेकिन अगर मौके पर लॉ एंड ऑर्डर खराब हुआ तो उसका जिम्मेदार लुधियाना जिला प्रशासन व डीसी जिम्मेदार होंगे।

पंजाब सरकार ने नहीं किया प्रोजेक्ट पूरा
कारोबारी राहुल वर्मा ने कहा कि हमारे पानी डालने की जिम्मेदारी बुड्‌ढे नाले में डालने की नहीं बल्कि लोअर बुड्‌ढा नाला में डालने की है। पानी वहां जाएगा और आगे खेतीबाड़ी के लिए इस्तेमाल हो सकता है। लेकिन सरकार ने 36 करोड़ खर्च नहीं किए। जिसके चलते पीपीसीबी ने ऑर्डर किए कि हमारी कंडीशन पूरी नहीं होती। गलती सरकार की है, हमारी नहीं है।

250 करोड़ खर्च कर लगाए प्लांट
कारोबारी बॉबी जिंदल ने कहा कि हम अपनी फैक्ट्री, सीईटीपी व सीईटीपी सीवरेज लाइन की भी सुरक्षा करेगें। हम चाहते हैं कि किसी तरह का टकराव न हो। डाइंग कारोबारियों की और से 250 करोड़ रुपए खर्च करके तीन सीईटीपी प्लांट लगाए हैं। हम जानते हैं कि कैसे डाइंग के पानी को साफ रखना है और दरिया को स्वच्छ बनाना है। लेकिन कुछ बिना पढ़े लिखे लोग इसका बिना किसी बात को समझे विरोध कर रहे हैं।

डाइंग इंडस्ट्री को जबरन बना रहे कसूरवार
कारोबारी रजनीश गुप्ता ने कहा कि डाइंग इंडस्ट्री द्वारा दरिया का पानी गंदा नहीं किया जा रहा। सरकारों द्वारा इसकी सफाई नहीं की जा सकी, अब सारी गाज इंडस्ट्री पर गिराई जा रही है। लेकिन यह धक्केशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर लुधियाना की टेक्सटाइल इंडस्ट्री से सरकार को इतनी दिक्कत है तो हमें बता दें, हम दूसरी स्टेट में इंडस्ट्री लगा लेते हैं। लेकिन ऐसे आरोप लगाने वाले लोगों पर नकेल डाली जाए।

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