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पहाड़ों पर गिरी बर्फ, गुरुग्राम में सर्द हवाओं ने कराया ठिठुरन का अहसास, 8 डिग्री सेल्सियस पहुंचा तापमान

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हरियाना/यूटर्न/11 दिसंंबर: पहाड़ों में हुई बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में भी दिखने लगा है। गुरुग्राम में सर्द हवाओं ने ठिठुरन का अहसास करा दिया। मंगलवार को न्यूनतम तापमान गिरकर 8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में न्यूनतम तापमान 2 से 3 डिग्री और नीचे जा सकता है। इससे ठंड में बढ़ोतरी होगी। वहीं, ठंड का असर न केवल तापमान बल्कि हवा की गुणवत्ता पर भी दिख रहा है। सुबह एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 250 दर्ज किया गया। दिनभर धूप खिली रही, लेकिन ठंडी हवाओं का असर कम नहीं हुआ। पिछले साल भी दिसंबर के शुरुआती सप्ताह में गुरुग्राम का न्यूनतम तापमान 7 से 9 डिग्री के बीच रहा था। हालांकि, इस बार पहाड़ों में बर्फबारी और उत्तर भारत में शीतलहर के कारण तापमान में तेजी से गिरावट हो रही है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में ठंड और बढ़ सकती है। सर्द हवाओं के कारण अधिकतम तापमान भी 20 डिग्री के आसपास बना रह सकता है।
आने वाले दिनों में भी काफी गिर सकता है तापमान
मौसम वैज्ञानिक डॉ. मनजीत सिंह ने बताया कि उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में हो रही बर्फबारी और ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाओं के कारण मैदानी इलाकों, खासकर गुरुग्राम और आसपास के क्षेत्रों में तापमान आने वाले दिनों में भी काफी गिर सकता है। आने वाले दिनों में न्यूनतम तापमान 6 डिग्री तक जा सकता है। शीतलहर जैसी स्थिति बनने की संभावना है, जिससे ठंड और बढ़ेगी।
बच्चों और बुजुर्गों को सतर्कता बरतने की सलाह
दो दिनों के अंदर ही शहर के मौसम में काफी बदलाव देखने को मिला। ऐसे में प्रशासन ने स्कूली बच्चों और बुजुर्गों को सतर्कता बरतने की सलाह दी है। सेक्टर-10 स्थित सिविल हॉस्पिटल की सीनियर फिजिशिन डॉ. काजल कुमुद का कहना है कि इस मौसम में बच्चे और बुजुर्ग जल्दी बीमार होते हैं। लिहाजा उन्हें गर्म कपड़े पहनने चाहिए और घर से निकलते समय विशेष सावधानी बरतनी होगी।
बाहर सोने की मजबूरी, अलाव का सहारा
लोग ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा लेने लगे हैं। सेक्टर 14, राजीव चौक और बस स्टैंड के पास लोग अलाव जलाकर ठंड से राहत पाने की कोशिश कर रहे हैं। उधर, शहर में रहने वाले बेघर लोगों के लिए ठंड बड़ी परेशानी बन गई है। रैन बसेरों की संखया सीमित होने और उनकी पहुंच से दूर रहने के कारण कई लोग सडक़ किनारे ठंड में सोने को मजबूर हैं। सुबह कई लोग खुले में सोते नजर आए। गुरुग्राम में हर साल प्रशासन रैन बसेरों की व्यवस्था करता है, लेकिन उनकी स्थिति और पहुंच एक समस्या बनी हुई है।
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