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हालात बद से बदतर फिर भी जा रहे हैं परली

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जनहितैषी, रायबरेली, 28 नवम्बर । हालात बद से बदतर होते जा रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खराब हो रहा है। लेकिन फिर भी यूपी के खेतों में किसान परली को धड़ल्ले से जला रहे हैं। प्रस्तुत विजुअल्स रायबरेली के खेतों के हैं जहां धड़ल्ले से पराली जलाई जा रही । खेतों में पराली जलाने को लेकर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते खेतो में किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं। डीह थाना क्षेत्र के टेकारी दांदू गांव के पास का यह वीडियो हैं जहां धड़ल्ले से खेतों में परली जल रही है।

पराली जलाने का मुद्दा आज भारत के किसानों और पर्यावरण के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है। पराली, धान की कटाई के बाद बचा हुआ ठूंठ, खेतों में जगह बनाने के लिए किसान अक्सर जला देते हैं। यह समस्या मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में देखने को मिलती है।

क्यो जालते है परली

पराली जलाने का मुख्य कारण इसका सस्ता और तेज़ तरीका होना है। किसानों के पास समय और संसाधनों की कमी होती है, जिससे वे इसे नष्ट करने के अन्य टिकाऊ विकल्प नहीं अपनाते।

पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है। कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, और सूक्ष्म कण (PM2.5) वातावरण में फैलकर स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। यह दिल्ली और अन्य पड़ोसी शहरों में स्मॉग (धुंध) का प्रमुख कारण है, जिससे सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं। साथ ही, मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है।

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