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क्या अब नेता भी लोक सेवा आयोग के जरिये चुने जाएं ?

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राकेश अचल -विभूति फीचर्स

 

संघ लोक सेवा आयोग अर्थात यूपीएससी का इतिहास काफी पुराना है। ये संगठन 1854 से देश के लिए लोक सेवक चुनता आ रहा है। पहले ये आईसीएस चुनता था लेकिन 1922 से आईएएस चुन रहा है। पहले यूपीएससी का नाम एफपीएससी था लेकिन भारत की आजादी के बाद जैसे ही देश में नया संविधान बना इसका नाम यूपीएससी हो गया। इस साल भी यूपीएससी सीएसई 2023 के परिणामों में 1143 रिक्त पदों के मुकाबले 1016 के चयन की सूची जारी की गई है।इन सभी को आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, ग्रुप ए और ग्रुप बी सर्विस में सरकारी नौकरी मिलेगी।चूंकि मै किसी राजनीतिक दल का प्रचारक नहीं हूँ इसलिए आज जब मैंने संघ लोक सेवा आयोग के नतीजों की खबर पढ़ी तो मुझे ख्याल आया कि क्यों न देश में सांसदों के चयन के लिए संघ लोकसेवा आयोग को ही मुकर्रर कर दिया जाए। यूपीएससी यानि संघ लोकसेवा आयोग वैसे भी लोक सेवक ही तो चुनता है ,फिर नेताओं को क्यों नहीं चुन सकता ? आखिर नेता भी तो लोकसेवक ही होते हैं ?

 

यदि संघ लोकसेवा आयोग को ये काम सौंपा जाये तो संसद में जाने से पहले सभी नेताओं को एक नहीं बल्कि दो-दो इम्तिहान देना पड़ें। मजेदार बात ये हो कि भावी लोकसेवकों को न टिकिट पाने के लिए किसी की चिरौरियाँ करना पड़ें और न नोट देना पड़ें। किसी हाईकमान की, किसी संसदीय बोर्ड की जरूरत ही न पड़े। कम से कम न्यूनतम योग्यता वालों को ही संसद में जाने की पात्रता तो होगी। अभी तो संसद में जाने की कोई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय ही नहीं है। अभी तो बस आपकी उम्र 25 साल के ऊपर होना चाहिए। आपकी योग्यता का पैमाना आपकी शिक्षा ,चाल-चलन नहीं है आपका पुलिस से चरित्र सत्यापन भी जरूरी नहीं है । आप खुद अपने ऊपर चले रहे मामलों की जानकारी दे दें तो आपकी कृपा है। आपने नेता बनने से पहले कितना ,क्या और कैसे कमाया ? यह भी कोई नहीं पूछता।

केंद्रीय चुनाव आयोग को संसद चुनने से पहले आदर्श आचार संहिता लगना पड़ती है ।वह किसी को भी चुनाव से पहले और चुनाव के बाद एडवायजरी जारी कर सकता है ,किसी को भी चुनाव प्रचार करने से रोक सकता है। यूपीएससी में ये सब झंझट नहीं है। निर्धारित अहर्ता है तो पहले प्रिलिम्स में उत्तीर्ण होइए और फिर मुख्य परीक्षा में अपनी योग्यता का मुजाहिरा कीजिये। अगर योग्यता नहीं है तो चाहे चाय बेचिये या पकौड़े। कोई रोकने वाला नहीं। सांसद बनने के लिए कोई न्यूनतम योग्यता नहीं है। चाय बेचने वाला हो ,मजदूर हो , हत्याभियोगी हो ,जेबकतरा हो, संसद के लिए चुनाव लड़ सकता है। केवल सजायाफ्ता नहीं होना चाहिए। हो भी तो दो साल से कम की सजा वाला हो।

मुमकिन है कि आप मेरी कल्पना पर हँसे ,मुझे मूर्ख भी कहें ,आपको ये छूट भारतीय संविधान ने दी है। सत्ता आपको ये छूट नहीं देती ,लेकिन चूंकि मै संविधान के विधान को मानता हूँ इसलिए मैं आपको ये आजादी देता हूँ। मैं आजादी का परम उपासक भी हूँ और समर्थक भी। मैंने 1975 में भी आजादी पर हमलों का विरोध किया था । मुझे जब से मतदान का अधिकार मिला है मैं नेता की सूरत देखकर मतदान नहीं करता। मैं पार्टियों में चाल,चरित्र और चेहरा देखता हूँ। मैं वोट देने से पहले उम्मीदवार की जाति या छाती का आकार भी नहीं देखता। अनेक मौकों पर ऐसा हुआ कि मुझे अपने इलाके में कोई उम्मीदवार समझ नहीं आया तो मैंने मतदान में हिस्सा नहीं लिया । मेरी इस मूर्खता की वजह से बज्जर मूर्ख उम्मीदवार जीत गए। इसका अफ़सोस मुझे आज तक है।

भारत में यदि सब कुछ संविधान के मुताबिक चले और सांसद चुनने का काम भी यदि संघ लोकसेवा आयोग जैसे किसी संस्थान को सौंप दिया जाये तो मै अपना मताधिकार तक समर्पित करने को राजी हूँ। मेरा वोट खरीदने वाले देश में ढेरों है। मान लीजिये कि यदि मैं अपना वोट न भी बेचूँ तो भी खरीदार तो मेरे वोट से चुने सांसद और विधायक को ही खरीद लेते हैं। आपका लोकसेवक यदि किसी आयोग द्वारा तय परीक्षा से चुना जाएगा तो कम से कम हाल के हाल तो नहीं बिकेगा ! उसे भ्रष्ट होने में कुछ वक्त लगेगा । वो थोड़ा-बहुत तो नैतिक होगा। वो आपने हाथ से अपने वेतन-भत्ते नहीं बढ़ा पायेगा। वो संसद में पहुंचकर केवल मेजें नहीं थपथपाएगा । केवल अपने नेता के नाम की माला नहीं जपेगा। उसे जिस काम के लिए भेजा गया है ,वो काम भी करेगा।

अभी तो मै देखता हूँ कि आप जिसे चुनते हैं ,उसका कोई खाड़ा(भरोसा) ही नहीं है। चुनाव के बाद वो आपको मिल ही जाये इसकी कोई गारंटी नहीं है। न राहुल बाबा इसकी गारंटी दे सकते हैं और न मोदी जी। संघ लोकसेवा आयोग द्वारा चुने जाने वाले लोकसेवकों को ये आजादी नहीं है। वे निलंबित किये जा सकते है। बर्खास्त किये जा सकते हैं। उनका तबादला किया जा सकता है।उनके वेतन-भत्ते रोके जा सकते हैं।उनके खिलाफ आय से ज्यादा सम्पति रखने पर कार्रवाई हो सकती है। अभी हम जिन लोकसेवकों को चुनते हैं उन्हें रिटायर नहीं किया जा सकता। वे जब चाहें तब तक चुनाव लड़ सकते हैं,राजनीति कर सकते हैं।जितना चाहे कमा सकते हैं

बहरहाल मेरी कल्पना अभी हाल-फिलहाल तो साकार नहीं हो सकती। इसलिए 19अप्रैल को जब आप पहले चरण के लिए लोकसेवक चुनने जा रहे हों तो अपनी आँखें खोलकर रखें। मैं आपसे किसी दल विशेष के प्रत्याशी को वोट देने के लिए नहीं कहूंगा। मेरा आग्रह तो ये है कि आप अपने प्रत्याशी का चाल,चरित्र और चेहरा देखे और सोच समझ कर ही मतदान करें।। (विभूति फीचर्स)

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