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उत्तराखंड के मदरसों में गूजेंगे श्लोक और मंत्र ,सहारनपुर के मौलाना बोलें- ‘इसमे कोई हर्ज नहीं’

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उत्तराखंड  18 Oct : मदरसों में जल्द ही बच्चे संस्कृत की पढ़ाई करते देखे जा सकेंगे, इसके लिए शिक्षा छात्रों को पंडित देंगे। वही मदरसों की नगरी सहारनपुर के मौलानाओ ने इस फैसले को सही बताया है। उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने मदरसों में संस्कृत का भाषा को अनिवार्य करने का फैसला लिया है। उत्तराखंड के मदरसों में जल्द ही बच्चे संस्कृत की पढ़ाई करते देखे जा सकेंगे, इसके लिए शिक्षा छात्रों को पंडित देंगे।

कोई हर्ज नहीं

धामी सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है। उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड की इस पहल के बाद सहारनपुर में मदरसा संचालकों ने कहा इसमें कोई हर्ज नहीं है। आल इंडिया दीनी मदारिस बोर्ड के चेयरमैन मौलाना मोहम्मद याकूब बुलंदशहरी का कहना था कि इसमें कोई हर्ज नहीं है। जितने भी जबाने, उलूम, फुनूम आदमी जितने भी हासिल करें उसमे आदमी की अपनी सलाहियत में निखार पैदा होता है, अगर सरकार ऐसा कदम उठा रही है यदि सरकार दीनी इस्लामिक तालीम के साथ-साथ और दूसरी और जबानों में भी माहिर करना चाहती है इसमें हर्ज ही क्या है।

 

इस्लामिक तालीम के उदहारण

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का मामला उत्तर प्रदेश की सरकार के साथ है। जहां तक मदरसों की बात है तो मदरसे इस्लामिक तालीम के एक उदाहरण है। हमारे कानून के अंदर तमाम हिंदुस्तानियों को अपने अपने धर्म की तालीम हासिल करने का अधिकार है, इसी के लिए मदारीसा इस्लामिक कायम किए गए है। इसमें इस्लामिक तालीम होती है जो बरसों से चली आ रही है।

सरकार के आधीन

 

उन्होंने कहा कि, यूपी में 1500 मदरसे हैं जिनमें से 500 मदरसे ऐसे हैं जो सरकार के अधीन है। सरकार अपने सिलेबस में कुछ ऐड करना चाहती है तो हर्ज की क्या बात है, फायदा तो सरकार की नीयत पर होगा, जब सरकार पढ़ने वालों को नौकरी देगी जो पढ़ना चाहते हैं उनको आगे बढ़ाएगी तो फायदा होगा। यदि सरकार किसी चीज को अपना नाम देकर के बीच में छोड़ देगी तो कोई फायदा नहीं होगा। सरकार उर्दू के टीचरों को भर्ती नहीं कर रही है सरकार मदरसों को ग्रांट पर नहीं ले रही है। पहले मदरसों को जो सहूलियत मिलती थी वह सब बंद होती जा रहे हैं। रजिस्ट्रेशन बंद कर दिए गए हैं तो क्या फायदा होगा नुकसान हो रहा है।

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