शबी हैदर
लखनऊ 17 मई । 2019 के चुनाव में शिवपाल की बगावत का खमियाजा पूरी समाजवादी पार्टी को उठाना पड़ा था। सपा न सिर्फ जीती सीटे हारी थी बल्कि् अपने गढ़ को भी खोना पड़ा था। शिवपाल के विद्रोह की वजह से बदायूं, कन्नौज जैसी सपा का गढ़ मानी जाने वाली सीटों पर बीजेपी ने जीत ली थी, लेकिन इस बार ऐसा होता नही दिख रहा। बढ़िया संगठक, पैनी नजर और घात लगा कर राजनीतिक हमला करने वाले शिवपाल ने कील कांटे दुरूस्त कर दिये है।
मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि आजमगढ़ में चुनाव हारने वाली सपा इस बार वहां चुनाव जीतती नजर आ रही है। पिछला चुनाव सपा को वहां गुडडु जमाली ने हरवा दिया था। इस बार गुडडू जमाली को सपा ने विधान परिषद भेज कर वहां पूरी तरह से डैमेज कंट्रोल कर लिया है। वरिष्ठ पत्रकार राकेश शुक्ला कहते हैं कि बदायूं सीट पर शिवपाल ने अपने बेटे आदित्य यादव की जीत के सभी रास्ते दुरूस्त कर दिये हैं। वह वहां से सपा के बागी और रूठे नेताओं को मनाने में कामयाब रहे। बीजेपी ने बदायूं से वहां की मौजूदा सांसद स्वामी प्रसाद की बेटी का टिकट काट दिया है जिसका फायदा भी सपा को मिल रहा है।
फिरोजाबाद लोकसभा सीट से पिछला चुनाव अक्षय यादव हार गये थे। फिरोजाबाद में अक्षय को हराने की कमान खुद शिवपाल ने संभाली थी और कसम खाई थी कि वह अक्षय को चुनाव नहीं जीतने देंगे। अ अक्षय सपा महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे हैं। इस बार फिरोजाबाद सीट का नजारा भी बदला है और अक्षय वहां से मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं।
मैनपुरी लोकसभा मिडटर्म चुनाव में बीजेपी ने सपा को फंसा दिया और ऐसा लग रहा था कि डिंपल चुनाव हार जाएगी। लेकिन अंगद की पांव की तरह शिवपाल ने अपना पांव रखा और रिकार्ड वोटों से डिंपल यादव ने जीत दर्ज की। इस बार हालांकि बीजेपी ने दो कदम आगे बढ़ते हुए मैनपुरी लोकसभा सीट से जयवीर सिंह को चुनवी मैदान में उतारा है। लेकिन यहां भी डिंपल मजबूत स्थिति में हैं।
राकेश शुक्ला के मुतातिबक शिवपाल ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूरब तक सगठंन में जान फूंकी अैर मजबूत रणनीति बनाई। अपने राजनीतिक पत्ते नहीं खोले और चाल बीजेपी की चाल के बाद चली। संभल लोकसभा सीट पर भी सपा मजबूत स्थिति में है। जहां शफीकुर्ररहमान बर्क के निधन के बाद सहानभूति लहर है वहीं संभल भी मुलायम सिंह यादव की कर्म भूमि है। यहां यादव—मुस्लिम काकटेल किसी को भी चुनाव जीता और हरा सकता है ।