दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस वर्मा के मामले में पंजाब तक हलचल, सीनियर एडवोकेट ढांडा ने उठाए गंभीर सवाल

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ढांडा की बेबाक प्रतिक्रिया, करप्ट जजों, वकीलों और नेताओं पर लगाम कसने के हों प्रयास

नई दिल्ली 25 मार्च। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के तुगलक क्रिसेंट स्थित आवास पर मंगलवार दोपहर जांच टीम पहुंची। जिसे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने गठित किया था। यह तीन मेंबरी टीम (इन हाउस पैनल) उस स्टोर रूम में गई, जहां 500 रुपयों के नोटों से भरीं अधजली बोरियां मिली थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जांच टीम में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस अनु शिवरामन शामिल रहे। इससे पहले 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके पैरेंट कोर्ट (इलाहाबाद हाईकोर्ट) वापस ट्रांसफर करने की सिफारिश का प्रस्ताव जारी किया। कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया कि 20 और 24 मार्च 2025 को हुई बैठकों में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट वापस भेजने की सिफारिश की। वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस फैसले पर आपत्ति जताई, बार मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।

जजों के करप्शन की जांच का कोई सिस्टम नहीं : ढांडा

लुधियाना जिला बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट बार कौंसिल के चेयरमैन रहे एडवोकेट हरीश राय ढांडा पंजाब सरकार में चीफ पार्लियामेंट सेक्रेटरी भी रहे। लिहाजा ‘यूटर्न-टाइम’ से खास बातचीत में उन्होंने बेबाकी से न्यायपालिका के साथ ही सरकार पर भी इस मुद्दे को लेकर तंज कसे। अपने तजुर्बे से बोले कि जब भी हमने ऐसे मुद्दे उठाए तो माननीय अदालत उल्टे हमसे जांच एजेंसी की तरह सबूत मांगने लगते हैं।

अब करप्ट नहीं, इमानदार कौन यही सवाल ?

एडवोकेट ढांडा ने सिस्टम पर तंज कसा कि एक जमाना था कि जब कहते थे करप्ट कौन है, अब मालूम किया जाता है कि इमानदार कौन है। उन्होंने जस्टिस वर्मा के मामले में न्यायपालिका पर गंभीर सवाल उठाया कि वकीलों के विरोध करने पर ही एक्शन क्यों लिया गया। दूसरी अहम बात, अगर एक जज किसी अदालत में इमानदारी से काम नहीं कर सका तो दूसरी तरह ट्रांसफर होने के बाद भला कैसे कर लेगा ?

नेता-वकील भी करप्ट, अलग जांच एजेंसी बने :

ढांडा बेबाकी से यह भी मानते है कि कई वरिष्ठ वकील भी करप्शन को बढ़ावा देने में कथित-तौर पर मददगार बनते हैं। लिहाजा ज्युडीशियरी के साथ ही वकीलों की जांच के लिए अलग से जांच एजेंसी बनाई जाए। उन्होंने कथित तौर पर आरोप लगाया कि जज तो विदेश में रिश्वत मांगते रहे हैं। जबकि नेताओं का करप्शन तो जगजाहिर है, लिहाजा इन सब पर लगाम कसने को कोई जांच एजेंसी बने।

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