जनहितैषी, 12 दिसम्बर, लखनउ। उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर, उत्तर प्रदेश एवं डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग और इंडियन सोसाइटी ऑफ जियोमेटिक्स की वार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी विषयक “रिमोट सेन्सिंग फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर : ए रोडमैप टूवार्डस् विकसित भारत’’ का शुभारम्भ 32 वर्षों के बाद आज लखनऊ में हुआ। यह प्रतिष्ठित कार्यक्रम 11 से 13 दिसंबर 2024 तक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ में आयोजित हो रहा है। संगोष्ठी का उद्घाटन आज सुबह 10ः30 बजे उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अनिल कुमार के कर-कमलों द्वारा किया गया। इस संगोष्ठी में देश-विदेश के 1000 से अधिक वैज्ञानिक, प्रोफेसर, अधिकारी एवं शोध छात्र भाग ले रहे हैं। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों जैसे इसरो, बेंगलुरु; अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद; नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, हैदराबाद; और नॉर्थ-ईस्ट स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, शिलांग के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। संगोष्ठी में उनके शोध एवं नवाचार प्रस्तुत किए जाएंगे, जो भविष्य के सतत विकास के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।
कार्यक्रम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अनिल कुमार ने कहा कि यह तकनीक न केवल जल, वायु और थल संसाधनों के समुचित प्रबंधन में सहायक है, बल्कि कृषि, वानिकी, आपदा प्रबंधन और स्मार्ट सिटी प्रबंधन में भी इसका अनुप्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर, प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों की खोज और उनके प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके माध्यम से नवीनतम आंकड़ों का सृजन किया गया है, जिससे जल, वायु और थल जैसे क्षेत्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मॉनिटरिंग और प्रबंधन को सुदृढ़ किया गया है। उन्होंने वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना करते हुए भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का आह्वान किया।
श्री कुमार ने यह भी कहा कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य माननीय प्रधानमंत्री के विकसित भारत के लक्ष्य को बल देकर उनके “विकसित भारत“ के सपने को साकार करना है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के प्रयासों में सहयोग मिलेगा।