जनहितैषी, 11 दिसम्बर, लखनउ । उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के जानकीपुरम, लखनऊ स्थित रिमोट सेंसिंग एप्लिकेशन सेंटर में आज ‘‘रिमोट सेन्सिंग फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर : ए रोडमैप टूवार्डस् विकसित भारत’’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतर्गत 02 दिवसीय पूर्व-ट्यूटोरियल सत्र को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया गया। इस संगोष्ठी का शुभारम्भ 09 दिसम्बर 2024 को विशेष सचिव एवं निदेशक श्री शीलधर सिंह यादव द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों से छात्रों को इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेन्सिंग के द्वारा चयनित किया गया था।
प्री-सिमपोजियम में लिडार तकनीक और बाथीमेट्रिक सर्वेक्षण के जरिए सतही जल मूल्यांकन, पृथ्वी का सटीक मानचित्रण, नदी अवसाधन विश्लेषण और उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह डेटा द्वारा स्मार्ट सिटी मैपिंग, और ड्रोन तकनीक के माध्यम से विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों का मानचित्रण जैसी और भी कई एडवांस्ड तकनीकों के महत्व पर प्रशिक्षण के साथ विस्तृत चर्चा हुई। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से आए 100 से अधिक छात्र और विशेषज्ञों ने भाग लिया।
इस संगोष्ठी का आयोजन भारतीय रिमोट सेंसिंग सोसाइटी और भारतीय जियोमैटिक्स सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। आयोजन समिति में प्रमुख रूप से श्री प्रवीण के. ठाकुर (सचिव, भारतीय रिमोट सेंसिंग सोसाइटी), श्री ए. के. अग्रवाल (अध्यक्ष, भारतीय रिमोट सेंसिंग सोसाइटी, लखनऊ चैप्टर), और डॉ. एम. एस. यादव (आयोजन सचिव एवं प्रमुख वैज्ञानिक, मृदा संसाधन प्रभाग) एवं अन्य प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और फैकल्टी शामिल हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुधाकर शुक्ला, वैज्ञानिक एवं प्रभाग अध्यक्ष (जियोमैटिक्स), द्वारा किया गया।