watch-tv

शिक्षक को देखा

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

शिक्षक को देखा

 

सबसे पहले शिक्षक है माता-पिता,

जिनसे ऊँगली पकड़ चलना सीखा।

उन शिक्षकों की बात ही निराली,

“अ, आ” और “ए टू ज़ेड” लिखा।

देखों डाट-डपट और प्यार का,

हमने बचपन में सामंजस्य देखा।

जब नहीं किया होमवर्क तो,

छड़ी के साथ रौद्र रूप भी देखा।

माता-पिता ने जब भी डाटा,

शिक्षक को दुलारते हुए देखा।

ज़ब हमने कई बार की गलती,

तब प्यार से समझाते हुए देखा।

शुल्क की जब भी बात आती,

प्राचार्य से निवेदन करते देखा।

अभिभावकों और विद्यालय को,

एक सूत्र में माला बन पिरोते देखा।

करूं क्या बखान उन शिक्षक का?

न जाने उन्हें क्या-क्या सहते देखा।

कभी-भी आंच ना आई हम पर,

हमारे भविष्य को गढ़ते देखा।

सहज गुजारा हो जीवन का,

शिक्षक को रक्षक बनकर देखा।

 

संजय एम. तराणेकर

(कवि, लेखक व समीक्षक)

इंदौर (मध्यप्रदेश)

 

Leave a Comment