watch-tv

सप्तश्लोकी मतदान गीता

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

सञ्जय उवाच —

*निर्वाचनस्य वेलायां मतदानोपयोगिताम्।*

*बोधयन् मतदातारमुवाच मधुसूदनः।।१।।*

संजय बोले- चुनाव की वेला में मतदाता को मतदान की उपयोगिता समझाते हुए भगवान श्रीकृष्ण इस प्रकार बोले।।1।।

 

श्रीभगवानुवाच —

*यदा यदा हि राष्ट्रेऽस्मिन् निर्वाचनं विधीयते।*

*निर्वोढुं निजकर्तव्यं तदा मतं प्रदीयताम्।।२।।*

जब जब इस राष्ट्र में निर्वाचन का आयोजन होता है, तब तब अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए तुम मतदान करो।।2।।

 

*लोकतन्त्रस्य संग्रामे ब्रह्मास्त्रं मतमुच्यते।*

*यस्य सन्धानमात्रेण कुशासनं प्रणश्यति।।३।।*

लोकतंत्र के संग्राम में मत(वोट) ब्रह्मास्त्र कहा जाता है, जिसके सन्धान मात्र से कुशासन का नाश हो जाता है।3।।

 

*नान्यः पन्था मतं त्यक्त्वा सुशासनाय विद्यते।*

*तस्मादपरिहार्येऽर्थे मतं प्रयच्छ भारत।।४।।*

हे भारतवासी! सुशासन की स्थापना के लिए ‘मत’ को छोड़कर अन्य कोई मार्ग नहीं है। इसलिए अपरिहार्य विषय होने के कारण तुम मत प्रदान करो।।4।।

 

*प्रजानां सर्वधर्मेषु सर्वोपरि मतं मतम्।*

*मतदानात् परं श्रेयो जनताया न विद्यते।।५।।*

प्रजा के सभी धर्मों में ‘मत’ (मत देना) सर्वोपरि माना गया है। जनता के लिए मतदान से अधिक कल्याणकारी कर्म कुछ भी नहीं है।।5।।

 

*नेता कोऽर्हश्च कोऽनर्हः सम्यगेतद् विचिन्तय।*

*ततो मताय युज्यस्व नैवं दोषमवाप्स्यसि।।६।।*

कौनसा नेता योग्य है और कौनसा अयोग्य है, इस बात का अच्छी तरह से विचार करके तत्पश्चात् मत के लिए प्रवृत्त हो जाओ, इस प्रकार मतदान करने पर तुम दोष को प्राप्त नहीं होओगे।।6।।

 

*याति मतप्रयोगेण लोकतन्त्रं समुन्नतिम्।*

*तस्मादुत्तिष्ठ वत्स! त्वं मताय कृतनिश्चयः।।७।।*

प्रजा के द्वारा मत के प्रयोग से लोकतंत्र उन्नति को प्राप्त होता है, इसलिए हे वत्स! तुम मतदान के लिए निश्चय करके खड़े हो जाओ।।7।।

 

*………सधन्यवादाः……..*

मतदान अवश्य कीजिये और कराइए।

Leave a Comment