28 सितम्बर-
वाल्मीकि रामायण का सुंदर कांड अत्यंत महत्वपूर्ण और महिमावान अध्याय है। इसे अक्सर रामायण का हृदय कहा जाता है । सुंदर कांड की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हनुमान जी के साहस, बल, बुद्धि, निस्वार्थता और श्री राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति को समर्पित होना दर्शाता है । यह कांड उस समय आता है जब श्री राम और सीता जी दोनों ही अपने गहरे दुःख और निराशा में होते हैं। सीता जी लंका में अकेली हैं और श्री राम अपनी पत्नी के वियोग से व्याकुल हैं। ऐसे समय में, हनुमान जी का लंका पहुँचना और सीता जी का पता लगाकर लौटना, निराशा में आशा का संचार करता है। यह बुरे समय के अंत और विजय की शुरुआत का प्रतीक है।
धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से सुंदर कांड के पाठ का विशेष महत्व है। इसे एक स्वतंत्र ग्रंथ के रूप में भी पढ़ा जाता है। इसका पाठ करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।जीवन में सकारात्मकता, आत्मविश्वास और बल की वृद्धि होती है । सुंदर कांड भक्ति की शक्ति, अटूट निष्ठा और असाध्य कार्य को सिद्ध करने वाले पराक्रम का अद्भुत उदाहरण है। यह रामायण का वह मोड़ है जहाँ से कथा दुःख से निकलकर विजय और मिलन की ओर मुड़ती है।
इस सभा में श्रीमती नंदिनी जयरथ, सुदर्शन जैन, रूपाली जैन, शिखा जैन, राज गुप्ता, वीणा सोनी, उषा कपूर, किरण खरबंदा, स्वीट धवन, दीक्षा धवन, रश्मि गर्ग, सोनिया तिवारी, शुचिता दुग्गल, श्री रामेश्वर गुप्ता, गुलाब राय, शशि गुप्ता, वीरेंद्र जैन, बृजेश गुप्ता, अमन गंभीर, संजीव धवन, सुरेश धवन व अन्य सम्मिलित रहे ।