परमात्मा की आराधना करने से आत्मा के कर्मों को खपाया जा सकता है – साध्वी श्री पुनीतयशा महाराज

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लुधियाना 13 सितंबर। सितंबर। श्री आत्मानंद जैन सभा लुधियाना के जैन उपाश्रय व श्री आत्मानंद जैन महासमिति के संयोजन में श्री आत्म वल्लभ जैन उपाश्रय में चातुर्मास हेतु विराजमान श्रीमद् आत्म वल्लभ समुद्र इंद्र सुरीश्वर जी महाराज के क्रमिक पट्टधर गच्छाधिपति शांतिदूत जैनार्चाय श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरी जी महाराज की आज्ञानुवर्ती शांत स्वभावी विदुषी साध्वी संपत श्री जी महाराज की सुशिष्या सरल स्वभावी साध्वी चंद्रयशा श्री जी महाराज व प्रवचन निपुण साध्वी श्री पुनीतयशा श्रीजी महाराज की पावन मिश्रा में शुक्रवार को सत्संग किया। इस दौरान साध्वी श्री पुनीतयशा श्रीजी महाराज ने प्रवचन किए कि सभी की चाल ढाल रंग रूप अलग अलग होता है। संत कुमार के रुप की प्रशंसा तो इंद्र महाराजा भी करते हैं। मानव का शरीर तो विकारों से भरा पड़ा है। देवों में यह चर्चा चल पड़ी कि ज्ञानी भगबंत कहते है कि शरीर को नहीं आत्मा को निहारो। परमात्मा की आराधना करने से आत्मा के कर्मो को खपाया जा सकता है। इस अवसर पर श्री आत्मानंद जैन सभा के कार्यकारी अध्यक्ष गुलशन जैन गिरनार ने कहा कि समाज के लोग भारी संख्या में कार्यक्रम में हिस्सा लेकर महाराज के प्रवचन से मग्नमुग्ध हो रहे हैं।