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पर्व पर्युषण : भावना कीर्तन में श्रावक धर्म का पालन करने का संदेश दिया साध्वी पुनीतयशा महाराज ने

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कल्पसूत्र वोहराने का सौभाग्य मिला कसूर वाले एमडीएच परिवार को, भक्तिमयी रहा माहौल

लुधियाना 2 सितंबर। श्री आत्मानंद जैन सभा एवं श्री आत्मानंद जैन महासमिति के संयोजकत्व में श्री आत्म वल्लभ जैन उपाश्रय में साध्वी चंद्रयशा महाराज व साध्वी पुनीतयशा महाराज की पावन निश्रा में पर्व पर्युषण के तीसरे दिन भी  धार्मिक अनुष्ठान हुए। इस पावन अवसर पर साध्वी पुनीतयशा महाराज को कल्पसूत्र वोहराने का सौभाग्य कसूर वाले एमडीएच परिवार को मिला।

इस अवसर पर भक्तिमयी माहौल में अपने निवास पर कसूर वाले एमडीएच परिवार से शिखर चंद जैन, अनिल जैन, राजेश जैन, अंशुल जैन, अंकुश जैन, अमन जैन, अभिनव जैन ने शिरोणि कल्पसूत्र वोहराने का सौभाग्य प्राप्त किया। जबकि श्री आत्म वल्लभ जैन उपाश्रय में भावना कीर्तन का आयोजन किया गया। दोनों ही पावन अवसर पर साध्वी पुनीतयशा महाराज ने प्रवचन के दौरान जीवन जीने के महान सूत्र सुझाते हुए अमूल्य उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि हर कोई व्यक्ति जीवन में संयम ग्रहण नहीं कर सकता है। मनुष्य को श्रावण धर्म का पालन करना चाहिए।

साध्वी पुनीतयशा महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि आत्मा से मिलन की क्रिया पौषध है। उन्होंने पौषध के चार प्रकार बताए। जिनमें आहार पौधष, शरीर सत्कार पौषध, ब्रह्माचार्य पौषध और व्यापार पौषध शामिल हैं। साध्वी महाराज ने अपने संदेश में यह भी कहा कि वर्ष भर में श्रावक के कर्त्तव्य ग्यारह होते हैं। इन सभी 11 कर्त्तव्यों का पालन विवेक से किया जाना चाहिए। हेय, ज्ञेय, उपादेय का ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने समझाया कि जिस प्रकार हंस पानी मिश्रित दूध में से दूध पी लेगा और पानी को को छोड़ देगा। श्रावक को भी असार को छोड़कर केवल सार को ही ग्रहण करना चाहिए।

इस पावन अवसर पर वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर महाराज के आशीर्वाद एवं साध्वी चंद्रयशा महाराज, साध्वी पुनीत यशा महाराज की निश्रा में श्रावकों ने विभिन्न अनुष्ठान किए।

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