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आइस्क्रीम की दुनिया में हंगामा, नो शुगर के बाद चिली फलेवर इंट्रोडयूज 

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— नित नये हो रहे प्रयोग, नान मिल्क बेस्ड आइस्क्रीम की बड़ी खपत

— आइस्कीम बोले तो… सेहत भी स्वाद भी और रोजगार भी

 

 

— देखते ही देखते 2 हजार करोड़ से 30 हजार करोड़ के बाजार में तब्दील हो गया आइस्क्रीम उद्योग

 

ग्लोरिया आइसक्रीम के सीईओ चेतन भल्ला से शबी हैदर की खास बात—चीत

 

लखनउ 19 जुलाई : जैसे—जैसे गर्मी अपने तेवर बदल रही है वैसे ही लोग खुद को ठंडा रखने के लिए नित नये प्रयोग कर रहे है। आइस्क्रीम खाने से गर्मी में जो ठंडक का एहसास होता है उसका मजा ही निराला है। और लोगों के इसी अंदाज ने आइस्क्रीम इंडस्ट्री को एक उद्योग की शक्ल दे दी है। आइस्क्रीम उद्योग के शुरूआती आंकड़े दो हजार करोड़ के इर्दगिर्द थे जोकि अब 30 हजार करोड़ को क्रास कर गये हैं और आने वाले पांच सालों में यह तीन गुना तक और इन्क्रीज कर सकते हैं। इन्ही सब मुददों पर हमने बात की यूपी के टॉप ब्रांड ग्लोरिया आइसक्रीम के सीइओ चेतन भल्ला से। आप भी इस मजेदार बातचीत को इंज्वाय कीजिए

 

 

प्र. हम से बातचीत का शुक्रिया, कैसा बदलाव ला रहे हैं आप आइस्क्रीम इंडस्ट्री में?

 

उ. आप का भी शुक्रिया, धन्यवाद, आवश्कयता अविषकार की जननी है हम तो बस यही जानते हैं। आज जिस प्रकार से लोगों के ईटिंग हैबिट में बदलाव आया है वह आकल्पनीय है। लोगों में अवेयरनेस इन्क्रीज हो रही है। लोग जागरूक हो रहे हैं। लोग हेल्थी आइसक्रीम चाहते हैं मांगते हैं। इस दृष्टि से बहुत बदलाव हुए हैं। इंडस्ट्रीज में बहुत ज्यादा बदलावा आया है। जीरो कैलोरी, जीरो शुगर कंटेट, मोर हैल्दी आईसक्रीम की डिमांड बड़ी है।

 

प्र. किस तरह के की हैल्थी आइस्क्रीम?

उ. लोग सेहत को लेकर जागरूक हुए है वह जो खाते हैं उसके बारे में जानकारी भी मांगते है। अब सिर्फ आईसक्रीम से काम नहीं चलने वाला। अब स्वास्थय बेस्ड आइस्क्रीम चाहिए। फ्रूट बेस्ड आइस्क्रीम की मांग हो रही है। योगट की मांग में इजाफा हुआ है। जितने भी प्रीमियम ब्रांड है वह सभी एक आइस्क्रीम चेन लेकर आये हैं। अूमल आईसक्रीम ने अमूल चेक नाम लांच किया है। क्वालिटी वाल्स ने स्लोचेक नाम से आइस्क्रीम को पेश किया है। नमस्ते इंडिया जोकि एक नया ब्रांड है उसने क्रीम ली के नाम से आईसक्रीम पार्लर इंट्रोडयूज किये।

 

लो शुगर, नो शुगर आईसक्रीम काफी पहले से थी। जो फलेवर अनहर्ट फलेवर थे जैसे कि कि​ चिली फलेवर इंट्रोडूयस हो रहा है। लगातार इनोवशन हो रहा है। मिल्क बेस्ड आईसक्रीम को हटाकर नान मिल्क आइस्क्रीम इंट्रोडयूस हो गयी है। लो शुगर आईसक्रीम का उत्पादन लगातार बड़ रहा है।

 

प्र. कुछ अपने बारे में बताइये?

उ. ग्लोरिया आइस्क्रीम 40 साल पुराना ब्रांड है। हम जल्द ही अपनी कै​पेसिटी को तीन गुना तक बड़ा रहे हैं। पांच गुना ज्यादा हमारी कैपेसिटी हो जाएगी। जब हम इस बाजार मे आये थे तब आईसक्रीम एक लग्जरी प्रोडक्ट था और लोग कभी—कभी स्पेशल ओकेजन पर आइस्क्रीम खाते थे।अब आइस्क्रीम एक डेली डेस्र्ट के तौर पर बदल गया है। लोग आइस्क्रीम को फेवरेट डेसर्ट के तौर पर अपने फ्रीज में रखते हैं। अब कन्जम्शन भी बड़ गया है और कम्पटीशन भी इनक्रीज हुआ है। पहले छोटे छोटे आईसक्रीम युनिट होते थे। अब बड़े नेशनल और रीजनल ब्रांड उभर कर आये हैं और उनका इंवेस्टमेंट भी काफी बड़ रहा है।

 

प्र. लोगों की इटिंग हैबिट में किस प्रकार का बदलाव देख रहे हैं आप?

 

उ. हसते हुए…. जी पहले आइस्क्रीम समर का प्रोडक्ट हुआ करता था। लेकिन अब जितनी आइस्क्रीम गर्मी में खायी जाती है उतनी ही आइस्क्रीम का इस्तेमाल ठंडक में होता है। लोग खास कर उस समय आइस्क्रीम खाने पार्लर आते हैं जब जब ठंडक अपने पीक पर होती है। लोग अपनी सेहत को लेकर फिक्रमंद है इसलिए उन्हें हेल्थी आइस्क्रीम चाहिए।

 

प्र. आइस्क्रीम उद्योग कितना बड़ा बाजार बन गया?

उ. देखिये यह शुरूआती दौर में दो हजार करोड़ की मार्केट था। अब 30 हजार करोड़ की मार्केट हो गयी है। पहले सिर्फ लोकल प्लेयर होते थे लेकिन, अब रीजनल और बड़े प्लेयर भी इस बाजार में आ गये हैं और काफी निवेश कर रहे हैं। मेरी नजर में अभी भी पर कैपिटा कन्जमशन कम है। और आने वाले पांच सालों के भीतर यह तीन गुना और ज्यादा इन्क्रीज होगा।

 

प्र. लखनउ का कितना बड़ा बाजार है,

 

उ. लखनउ और आसपास के शहर एक बड़े बाजार के तौर पर स्थापित हो चुका है। अमूल की फैक्ट्री लखनउ में लग चुकी है। सात—आठ नेशनल और रीजनल ब्रांड भी लखनउ में अपनी फैक्ट्रियां लगा रहे हैं और यहां अपनी एक्टिीविटी को इन्क्रीज कर रहे हैं। मेरी नजर में लखनउ और आसपास का बाजार 350 करोड़ से ज्यादा का बाजार बन चुका है।

 

प्र. किस प्रकार की सहूलत चाहते हैं सरकार से

 

उ. आईसक्रीम जो है वह डेली कन्जमशन का आईटम हो गया है। आइस्क्रीम पर जीएसटी 18 फीसदी है। जीएसटी ज्यादा होने के कारण हम प्राइस कम नहीं कर पा रहे हैं। जैसे बाकी के डेयरी प्रोडक्ट है उनका टैक्स 5 से 12 फीसदी स्लैब में है। आईसक्रीम ही सिर्फ 18 फीसदी के स्लैब में है। 5 रूपये का कप और 10 रूपये के कोन पर 18 फीसदी टैक्स। सरकार अगर इस दिशा में कुछ राहत दे तो निश्चित तौर पर मदद होगी।

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