लुधियाना की सड़कें बनी कूड़े का डंप, आखिर किसकी जेब में जा रहे लिफ्टिंग से लेकर डिस्पोज ऑफ के करोड़ों रुपए

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राजदीप सिंह सैनी
लुधियाना 7 सितंबर। स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले लुधियाना के हालात ऐसे हो चुके हैं कि अब सड़कों को ही कूड़ेदान बनाकर वहां जमकर कूड़ा फेंका जा रहा है। शायद यही हालात है कि कभी स्वच्छता के लिए जाना जाता लुधियाना शहर अब 49वें नंबर पर आया है। ताजा तस्वीरें लुधियाना-दिल्ली हाइवे पर पड़े हल्का साउथ के शेरपुर चौक के नजदीक की सामने आई है। जहां पर एसपीएस अस्पताल के पास करीब आधा किलोमीटर तक सड़क पर खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है। हाइवे होने के चलते दिल्ली की तरफ से शहर में आने वाले लोगों का कूड़े के ढेर से स्वागत किया जा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि ज्यादातर सत्ताधारी राजनेता, विपक्ष व समाजसेवी उसी रास्ते से निकलते हैं, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि फिर भी उन्हें यह ढेर दिखाई देते। चर्चा है कि शायद लग्जरी कारों में यह दिखते नहीं होंगे। जबकि नगर निगम लुधियाना द्वारा शहर की कूड़ा लिफ्टिंग से लेकर डिस्पोज ऑफ करने तक करोड़ों रुपए हर महीने अलग अलग कंपनियों को दिए जा रहे हैं। लेकिन फिर भी शहर के हालात है तो इससे चर्चा छिड़ गई है कि आखिर किन किन अफसरों, कंपनी मालिकों और राजनेताओं की जेब में यह करोड़ों रुपए जा रहे हैं। इसकी पंजाब सरकार को जांच करनी चाहिए।

रोजाना कूड़ा लिफ्टिंग-सेग्रीगेशन के 12 लाख देता है निगम
जानकारी के अनुसार शहर में रोजाना 1100 टन के करीब कूड़ा फेंका जाता है। निगम द्वारा 1100 रुपए प्रति टन कूड़ा लिफ्टिंग और सेग्रीगेशन का दिया जाता है। जिसमें 550 रुपए लिफ्टिंग और 550 रुपए सेग्रीगेशन के होते हैं। यानि कि रोजाना निगम की और से कूड़े पर रोजाना 12 लाख से अधिक पेमेंट की जा रही है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि इतना पैसा खर्च करने के बाद भी सड़कों पर कूड़ा दिख रहा है।

पेमेंट लेकर भी कंपनियों नहीं कर रही सही से काम
जानकारी के अनुसार प्यारा सिंह एंड कंपनी के पास कम्पेक्टर का कूड़ा उठाने का काम करती है। जबकि कम्पेक्टर का कूड़ा आगे सेग्रीगेशन करने का काम ग्रीन टैक कंपनी के पास है। वहीं इसी तरह ग्यासपुरा के एक व्यक्ति की अलॉयंस कंपनी है। जिनकी और से कूड़ा लिफ्टिंग किया जाता है और उसे ताजपुर रोड के कूड़ा डंप पर इकट्‌ठा किया जाता है। वहीं सागर मोटर्स कंपनी को निगम ने 70 करोड़ रुपए में पांच साल का कांट्रेक्ट दे रखा है। जिसका काम ताजपुर रोड से कूड़ा सेग्रीगेट करनके डिस्पोज ऑफ करना है। चर्चा है कि इन कंपनियों व उनके कर्मियों द्वारा अपना काम सही से नहीं किया जा रहा। जिसके चलते पूरा शहर कूड़ेदान बन रहा है।

घरों से इललीगल पैसा इकट्‌ठा करते हैं कर्मी
बता दें कि घरों से कूड़ा इकट्‌ठा करने वाले कर्मियों को कंपनी के जरिए निगम से सैलरी मिलती है। लेकिन कर्मियों द्वारा इललीगल तरीके से घरों से कूड़ा उठाने से 50 रुपए से लेकर 150 रुपए लिए जाते हैं। जबकि इस संबंधी निगम अफसरों और राजनेताओं को अच्छे से जानकारी है। लेकिन कोई कुछ बोलता नहीं है।

कम्पेक्टरों पर सरकारी मुलाजिम मांगते रिश्वत, सड़कों पर आ रहा कूड़ा
चर्चा है कि कम्पेक्टरों और डंप पर मौजूद सरकारी मुलाजिमों द्वारा कूड़ा लिफ्टिंग करने वाले कर्मियों से रिश्वत मांगी जाती है। इसी के चलते घरों से कूड़ा उठाने वाले कर्मियों द्वारा अब 50 से 100 रुपए और 150 से 200 रुपए कर दिए गए हैं। हालांकि कई कूड़ा उठाने वाले कर्मियों द्वारा सरकारी मुलाजिमों को रिश्वत कम दी जाती है। जिसके चलते वे अपना कूड़ा कम्पेक्टरों और डंप पर फेंकने की जगह इधर उधर गिराकर चले जाते हैं। जबकि कई कर्मी घरों से की कूड़ा नहीं उठा रहे।

सबसे बड़ा हेरफेर ग्यासपुरा एरिया में होने की चर्चा
चर्चा है कि कूड़ा लिफ्टिंग का सबसे बड़ा हेरफेर ग्यासपुरा की 100 फुटी रोड पर हो रहा है। जहां पर कूड़ा लिफ्टिंग के नाम पर पैसों की डिमांड की जाती है। जबकि इसी कारण ग्यासपुरा में सड़कों पर कूड़ा आम दिखाई देता है।

शहर में कूड़ा गिराने के सिर्फ चार ही प्वाइंट्स
वहीं बता दें कि शहर में कूड़ा गिराने के सिर्फ चार ही ऑफिशियल प्वाइंट्स है। जिसमें एक बुक्स मार्केट के पास, दूसरा ग्यासपुरा फ्लैटों के पास, तीसरा जीवन नगर चौक के पास और चौथा सब्जी मंडी बहादुरके रोड के पास है। इन चार स्थानों के अलावा कही भी कूड़ा डंप नहीं बनाया जा सकता। लेकिन लुधियाना में गिल संगीत सिनेमा के पास और शरेपुर चौक को ही डंप बना दिया जा रहा है।

आप सरकार में शहर की हालत बद से बदतर
बीजेपी के नेता एडवोकेट बिक्रम सिंह सिद्धू ने कहा कि लुधियाना का नगर निगम करप्शन का अड्‌डा बन चुका है। पुरानी सरकारों ने तो शहर की सुंदरता खराब की ही थी, अब आप सरकार के कार्यकाल में उसकी हालत बद से बदतर हो चुकी है।

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