क्रांतिकारी पंजाबी कवि दर्शन खटकर। प्रीतम सिंह बस्सी मेमोरियल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित 

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नवीन गोगना

लुधियाना 22 फरवरी  : स्वर्गीय डॉ. पच्चीस वर्ष पूर्व दर्शन गिल एवं उनके सहयोगियों द्वारा स्थापित बी.सी. कल्चरल फाउंडेशन (पंजीकृत) सरे (कनाडा) की स्थापना स्वर्गीय एस. पंजाबी लोक विरासत अकादमी के सहयोग से लुधियाना के गुजरांवाला गुरु नानक खालसा कॉलेज के अप्रवासी साहित्य अध्ययन केंद्र में पंजाबी कवि दर्शन खटकर को आज प्रीतम सिंह बस्सी पुरस्कार प्रदान किया गया। इस समारोह में मुख्य अतिथि प्रख्यात लेखक डॉ. वरयाम सिंह संधू ने भाग लिया, जबकि समारोह की अध्यक्षता डा. एस पी सिंह, पूर्व कुलपति, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर भी शामिल हुए। पंजाबी कवि मोहन गिल (कनाडा) विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। पंजाबी लोक विरासत अकादमी के महासचिव डॉ. गुरइकबाल सिंह ने क्रांतिकारी कवि दर्शन खटकर के साहित्यिक कार्य और जीवन पर एक प्रमुख निबंध लिखा।

उन्होंने भाषण देते हुए कहा कि दर्शन खटकर द्वारा 1971 में छात्र आंदोलन के नेता के रूप में जेल जाने से पहले और जेल जाने के दौरान लिखी गई कविताएं 1973 में एक काव्य पुस्तक ‘संगी साथी’ के रूप में प्रकाशित हुईं, जबकि 2010 में दूसरा कविता संग्रह ‘उल्टे रुख परवाज़’ प्रकाशित हुआ, जो नक्सलवादी काव्य परंपरा की निरंतरता को प्रस्तुत करता है और बाजारवादी प्रवृत्ति पर प्रहार करता है। उनकी अन्य रचनाओं में दविंदर नोरा द्वारा संपादित ’94 लेटर्स एंड मेमोयर्स टू विलायत’ शामिल है। उनके बारे में एक बड़ी पुस्तक, ‘दर्शन खटकर: संघर्ष और कविता’, सुखविंदर कंबोज, रविंदर सेहरा और सुखविंदर गिल द्वारा संपादित की गई थी। पिछले वर्ष आपने मार्क्स की महत्वपूर्ण पुस्तक ‘कैपिटल रीडिंग एंड स्टडीइंग’ प्रकाशित की थी। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. वरयाम सिंह संधू ने कहा कि दर्शन खटकड़ का जीवन और कार्य पहले कदम से लेकर आज तक लोगों की मुक्ति के मार्ग पर रहा है। उन्होंने मध्यकालीन सिख नायकों की कविताओं में संलग्न होकर सम्पूर्ण नक्सलबाड़ी-प्रभावित कविता की दिशा बदल दी। उन्होंने रूस और चीन के क्रांतिकारी आंदोलनों के साथ-साथ पंजाब के संघर्षों को भी अपनी कविता में पिरोया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. एस.पी. सिंह ने कहा कि मंगा सिंह बस्सी ने एक ऐसे पुत्र होने का प्रमाण दिया है, जिन्होंने अपने पूज्य पिता की स्मृति में इस पुरस्कार की स्थापना की है। मंगा सिंह बस्सी की आदरणीय बहन प्रकाश कौर, बहनोई स. छज्जा सिंह, एस. जसपाल सिंह बस्सी और उनके जीवन साथी मित्र एस. संतोख सिंह बसी नूरमहल में शामिल हो गए। कार्यक्रम में सभी को सम्मानित किया गया। दर्शन खटकड़ ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विज्ञान का विद्यार्थी होने के बावजूद पंजाबी कविता हमेशा मेरे दिल के करीब रही है। इस अवसर पर उन्होंने गाजा पट्टी के संघर्ष पर एक गीत गाया और पुरस्कार के लिए मंगा सिंह बस्सी और बीसी कल्चरल फाउंडेशन को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं सरे (कनाडा) निवासी कवि मोहन गिल ने बताया कि यह पुरस्कार हमारे प्रिय मित्र पंजाबी कवि मंगा सिंह बस्सी, जिनका जन्म बीर बांसियां (जालंधर) में हुआ तथा जो वर्तमान में कनाडा में रहते हैं, को उनके पूज्य पिता एवं पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना के संरक्षक श्री. प्रीतम सिंह बस्सी जी की स्मृति में इसकी स्थापना करके सभी के लिए एक मिसाल कायम की है। इस पुरस्कार में दर्शन खटकर को 51,000 रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रशस्ति पत्र और एक प्रशंसा पट्टिका प्रदान की गई। स्नातकोत्तर पंजाबी विभाग के प्रमुख प्रो. शरणजीत कौर ने पढ़ाई की। सुमधुर पंजाबी कवि त्रैलोचन लोची ने दर्शन खटकर की एक ग़ज़ल गाई। विश्व पंजाबी सभा टोरंटो की भारतीय अध्यक्ष बलबीर कौर रायकोटी ने सभा की ओर से गुरुमुखी अक्षरों वाले शॉल भेंट किए। इस कार्यक्रम का मालवा टीवी द्वारा सीधा प्रसारण किया गया। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरविंदर सिंह भल्ला ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पंजाबी प्रेमियों का धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम में श्री. इस अवसर पर कॉलेज प्रबंधन समिति के मानद महासचिव हरशरण सिंह नरूला, केंद्रीय पंजाबी लेखक संघ (रजि.) के अध्यक्ष दर्शन बुट्टर, टोरंटो स्थित व्यवसायी एस. इंद्रजीत सिंह बल, कुलविंदर सिंह, प्रो. जागीर सिंह काहलों, सतिंदरपाल सिंह सिधवां, डा. सोहन सिंह परमार, अंग्रेज सिंह बराड़ (सरे) प्रो. रविन्द्र सिंह भट्टल, डा. लखविंदर सिंह जौहल, पूर्व अध्यक्ष पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना, प्रिंसिपल (सेवानिवृत्त) डॉ. परमजीत सिंह ग्रेवाल भी पहुंचे। मंच संचालन डॉ. तेजिंदर कौर, समन्वयक, आप्रवासी साहित्य अध्ययन केंद्र।

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