भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारी टैरिफ के दबाव से जूझ रहे एक्सपोर्टर्स के लिए नई राहत योजनाओं की घोषणा की है। केंद्रीय बैंक ने सभी टर्म लोन पर 1 सितंबर से 31 दिसंबर 2025 तक मोरेटोरियम लागू करने का फैसला किया है। इस अवधि में ब्याज तो लगेगा, लेकिन इसे सिंपल इंटरेस्ट के आधार पर लिया जाएगा, जिस पर कंपाउंडिंग का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
20 सेक्टर होंगे पात्र
आरबीआई ने 20 ऐसे सेक्टरों की सूची जारी की है, जिन्हें इस मोरेटोरियम का लाभ मिलेगा। इसमें ऑर्गेनिक केमिकल्स, प्लास्टिक, अपैरल और फुटवेयर जैसे प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया है। साथ ही, एक्सपोर्टर्स को विदेशी लेन-देन पूरा करने और भुगतान लौटाने के लिए 9 महीने के बजाय 15 महीने का समय मिलेगा।
शिपमेंट की समयसीमा बढ़ाई
एडवांस पेमेंट पर की जाने वाली शिपमेंट की समयसीमा को 1 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष कर दिया गया है। इसके अलावा, 31 मार्च 2026 तक प्री- और पोस्ट-शिपमेंट फाइनेंस के लिए अधिकतम क्रेडिट अवधि को 450 दिन तक बढ़ाया गया है, ताकि एक्सपोर्ट क्रेडिट एनपीए में न जाए। यदि माल शिप नहीं हो पाता, तो 31 अगस्त 2025 तक लिया गया पैकिंग क्रेडिट घरेलू बिक्री या किसी वैकल्पिक निर्यात ऑर्डर के माध्यम से समायोजित किया जा सकेगा।
टैरिफ के असर से बढ़ी दिक्कतें
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ के कारण भारतीय एक्सपोर्टर्स, विशेषकर टेक्सटाइल सेक्टर, प्रभावित हुए हैं। कई अमेरिकी खरीदारों ने शिपमेंट में देरी की या ऑर्डर रद्द कर दिए, जिससे एमएसएमई यूनिट्स में बिना बिके माल, नकदी संकट और लंबित भुगतान की स्थिति पैदा हो गई। कई खातों के एनपीए में बदलने के बाद उद्योग संगठनों ने सितंबर में सरकार और आरबीआई से राहत की मांग की थी। अमेरिकी सरकार ने 27 अगस्त से अधिकांश भारतीय निर्यात पर 50% का टैरिफ लागू किया था।





