लुधियाना से दो बार सांसद रहे केंद्रीय राज्यमंत्री बिट्टू, दो साल में फिर लड़ना पड़ेगा रास चुनाव
लुधियाना 27 अगस्त। आखिरकार केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू राज्यसभा सांसद बन गए हैं। राजस्थान से खाली सीट पर उप चुनाव में मंगलवार को उनकी निर्विरोध जीत का रस्मी-ऐलान हो गया। वैसे तो संख्या-बल और राजनीतिक-समीकरण को देखते हुए उनकी जीत तो पहले से ही तय थी।
यहां गौरतलब है कि राज्यसभा चुनावों के नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख आज ही थी। तय समय तीन बजे के बाद परिणाम की औपचारिक घोषणा की गई। कांग्रेस की तरफ से इन उप-चुनावों में कोई उम्मीदवार नहीं उतारने के फैसले से बिट्टू की जीत पहले ही एकतरफा हो चुकी थी। कांग्रेसी उम्मीदवार नहीं होने के बाद नामांकन पत्र दाखिल करने वालों में तीन उम्मीदवार ही बचे थे। बीजेपी के डमी उम्मीदवार सुनील कोठारी अपना नामांकन पहले ही वापस ले चुके थे। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार बबीता वाधवानी का भी नामांकन पत्र जांच के बाद रद कर दिया गया था। जिसके बाद बिट्टू ही मैदान में बचे थे।
बता दें कि अगर जरूरत पड़ती या कोई विरोध सामने आता तो ही तीन सितंबर को वोटिंग कराई जा सकती थी। इसके बाद शाम पांच बजे काउंटिंग भी होनी थी। जबकि आज किसी की तरफ से कोई विरोध दर्ज नहीं कराया गया।
संख्या बल नहीं था कांग्रेस के पास :
कांग्रेस ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि पार्टी इस बार राज्यसभा सीट के चुनाव को लेकर कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। दरअसल बीजेपी के पास इस सीट पर जीतने के लिए पर्याप्त संख्या बल था। ऐसी स्थिति में कांग्रेस को जीत की कोई गुंजाइश नहीं दिखी तो उसने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था।
फिर से बिट्टू को चुनाव लड़ना पड़ेगा :
कांग्रेस के राज्यसभा मेंबर केसी वेणुगोपाल के लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद इस खाली सीट पर उप-चुनाव होना था। इस सीट पर सदस्यता का कार्यकाल 21 जून, 2026 तक ही रहेगा। जबकि राजस्थान में कुल 10 राज्यसभा सीटें हैं। मौजूदा समय में बीजेपी के पास 4 और कांग्रेस के पास 5 सीटें थीं। अब बिट्टू समेत बीजेपी के पांच राज्यसभा सांसद हो गए हैं। बिट्टू की सदस्यता जून, 2026 में खत्म हो जाएगी। जिसके बाद केंद्रीय राज्यमंत्री बने रहने के लिए बिट्टू को दोबारा राज्यसभा का ही रुख करना होगा। पंजाब की बात करें तो यहां की 7 में से कोई भी सीट 2028 से पहले खाली नहीं होगी। वहीं, अगले लोकसभा चुनाव भी 2029 में ही होंगे। लिहाजा बिट्टू को तब किसी अन्य राज्य में खाली रास सीट पर चुनाव लड़ना पड़ेगा।
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