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आईपीएल मेला युबाओ के लिए अभिशाप बनता नज़र आ रहा है : रविंद्र आर्य 

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भारत की गली – गली मे है अब, फर्जी ऑनलाइन ऑफलाइन सट्टेबाजों के गिरोह

 

भारत का ऑनलाइन खेल सट्टेबाजी बाजार 2024 में ₹160 बिलियन से अधिक तक पहुंचने का अनुमान है, जब की ऑफलाइन ₹160 बिलियन से कही दुगना बाजार है, जिसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा ऑनलाइन ऑफलाइन आईपीएल सट्टा के कारण है। हर साल अधिक से अधिक सट्टेबाज इसमें शामिल हो रहे हैं, युवा साइन-अप करके और खेल सट्टेबाजी के इस रूप के रोमांच का अनुभव करने के लिए सर्वोत्तम प्लेटफार्मों की तलाश कर रहे हैं। सट्टेबाजो ने कुछ युवाओं को तो बिल्कुल बर्वाद करके रख दिया है, बेहतरीन ऐप्स बताकर इस एप्लीकेशन का चयन करने के लिए किया जाता है। जिनका उपयोग भारत में कोई भी सट्टेबाज कर सकते हैं। एक बार जब आप अपनी पसंदीदा पसंद पर निर्णय ले लेते हैं, तो उनके साथ साइन-अप करने और उनके साइन-अप बोनस ऑफर का लाभ उठाने के लालच मे पैसा बर्बाद करते है। गुमराह करने वाले लोगो की भी कमी नहीं है, चाहे वह पुलिस महकमा हो या आमजन हो, पुलिस के थानेदार रेंक के अधिकारी पब्लिक डोमिन मे कहते फिरते है की गवर्नमेंट ही ऐसी एप्लीकेशन को आज्ञा देती है, जब की यह बिल्कुल सारा-सर मिथ्या झूठ है। गवर्नमेंट एप्लीकेशन किसी भी ऐप्स को लीगल आज्ञा जब देती है, जब वह गवर्नमेंट के दायरे मे आती हो, जैसे- एन ओ सी, लाइसेंस एवं टेक्स आदि के दायरे एवं मानक को पूर्णरुप से पालन करता आया हो। यह नहीं की गली-गली से कोई भी फर्जी आमजन इसको बिना एन ओ सी के संचालक करता हो, लेकिन भारत मे ऐसा होना अब आम बात हो गई है। जैसे देखने मे आया होगा महादेव ऐप्स जों छत्तीसगढ़ के कांग्रेस के पूर्व सीएम तक इसका शिकार हुए, ओर ईडी के जाल मे भी फसे, फर्जी गैंग ऐसी एप्लीकेशन को खुलेआम चला रहे है, ऐसे फर्जी गैंग समाज ओर पुलिस को गुमराह करते आये है। इस कारण ही समाज मे कोई बदलाव नहीं दीखता नज़र आ रहा है।

मॉ – बाप बच्चों से उम्मीद लगाएं बैठे होते है की देश ओर मॉ-बाप का नाम ऊंचा करेगा, परन्तु उनकी संतान ऑनलाइन ओर ऑफलाइन जुआ आदि मे फसी रहती है, आजकल पैसा कामना ओर गवाना ऐसे युवा दोनों गतिविधि को शान समझते है। जब की आईपीएल मेला युबाओ के लिए अभिशाप बनता जा रहा है। पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है की हमारे देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर किया जा रहा है, हम जानना नहीं चाहते देश को कमजोर कैसे किया जाता है? ऐसे ही पहले तो देश मे किरिप्टो करंन्सी का जाल बिछाया गया यह मीठा जहर जनमानस को पिलाया गया ओर लोगो मे पैसा कमाने के लिए नेटवर्किंग सिस्टम ने फर्जी सर्कुलर जारी किया गया, सरकार को मजबूत होते हुए इस नेटवर्किंग गैंग को फिर टेक्स के दायरे मे लेना पड़ा, उसके उपरांत आया फर्जी ऑनलाइन, ऑफलाइन सट्टा किंग आप्लिकेशन, जैसे की महादेव एप्लीकेशन लेकिन अब जोरों पर आईपीएल सट्टा, जिसका बाजार इतना गरम है की युवा आईपीएल शुरू होते ही फ़ोन कॉल, व्हाट्सप्प टेक्स्ट एस एम एस ओर व्हाट्सप्प कॉल्स शुरू हो जाती है। हर ओवर की बॉल पर भाव लगाया जाता है, यह ब्लैक मनी कहाँ जाती है? देश को कौन खोखला कर रहा है? ऐसी अबैध गतिविधियों से कोई जानना नहीं चाहता है, युवा ऐसी बातों को जानना उचित भी नहीं समझते है। मान लीजियेगा मॉ-बाप अपनी सन्तानो को समझाने की कोशिश भी करते है की क़ानून के मुताबिक जुआ खेलना जुर्म है, या शास्त्रों अनुसार घृणित कार्य है। तो कलयुगी संतान के अनेकों तर्क देती नज़र आयेगी, यह तो सरकार की ही एप्लीकेशन है, इक्कीसवीं सदी का विज्ञानं का ज़माना है, हम शॉटकट रास्ता अपनाकर आपसे जल्दी पैसा कमा रहे है। आज के युग मे अनेको तर्क मॉ-बाप को सन्तानो द्वारा दी जा रही है, पर कोई माने या ना माने जुआ खेलने वाला जीतकर भी हार जाता है, वह समझ बैठता है की मे जीत रहा हु। जबकि बिचोलिये जेब गरम कर सट्टेबाजी से मौज बनाते फिरते है। कब क्रिकेट मैच कहाँ पलटी माऱ दे किसी टीम का कोई भरोसा नहीं उसके बाबजूद भी जनता इस जुए का शिकार होती आई है। कुछ एप्लीकेशन का ज्यादातर पैसा विदेशो मे जाना अब आम हो चला है।

रविंद्र आर्य ,सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं लेखक

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