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महान देशभक्त नेताजी बोस को श्रद्धांजलि देने उमड़ी देश के युवाओं की भीड़ : रविंद्र आर्य 

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*महान देशभक्त नेताजी बोस को श्रद्धांजलि देने उमड़ी देश के युवाओं की भीड़* रविंद्र आर्य

 

*नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर देशभक्ति का ज्वार* डॉ. पवन सिन्हा

 

*युवाओं ने पराक्रम दिवस पर नेताजी को दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि*

 

 

रिपोर्ट: रविंद्र आर्य

 

गाजियाबाद: वीर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, जिसे ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, के अवसर पर गाजियाबाद शहर के दुर्गा भाभी चौक पर युवा अभ्युदय मिशन द्वारा श्रद्धांजलि अर्पण समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पावन चिंतन धारा आश्रम के संस्थापक परमपूज्य डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ एवं आदरणीय गुरुमां डॉ. कविता अस्थाना की गरिमामय उपस्थिति में मुख्य वक्ता वीर चक्र प्राप्त कर्नल टी. पी. त्यागी, कवि एवं पत्रकार राज कौशिक और पत्रकार एवं लेखक रवि अरोरा ने उपस्थित राष्ट्रप्रेमियों के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़े अद्वितीय तथ्य और उनके योगदान का विश्लेषण प्रस्तुत किया।

 

कार्यक्रम का शुभारंभ सभी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ।

 

कर्नल टी. पी. त्यागी ने नेताजी और आज़ाद हिंद फौज के शौर्य की गाथा सुनाते हुए ब्रिटिश शासन के प्रति उनके साहस और फौज के सैनिकों के साथ हुए दुर्व्यवहार की कठोर भर्त्सना की।

 

राज कौशिक ने आजादी के बाद भी नेताजी के साथ हुए अन्याय पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए देश के युवाओं से आह्वान किया कि वे नेताजी के विचारों को समझें और उन्हें वह सम्मान दें, जिसके वे वास्तव में हकदार हैं।

 

रवि अरोरा ने उस समय की ब्रिटिश सरकार और ब्रिटेन की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए युवाओं को तथ्यों के गहन विश्लेषण के माध्यम से देश और उसके नेताओं के प्रति जागरूक होने की प्रेरणा दी।

 

युवा अभ्युदय मिशन के समन्वयक रोहित अरोरा ने नेताजी के जीवन के शौर्य से भरे प्रसंगों का उदाहरण देकर युवाओं में देशभक्ति की भावना जाग्रत की। उन्होंने नेताजी और गांधी जी के संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा, “उनके बीच मतभेद अवश्य थे, लेकिन मनभेद कभी नहीं थे।” साथ ही उन्होंने नेताजी की मृत्यु से जुड़ी वास्तविकताओं को भी श्रोताओं के समक्ष रखा।

 

सभा में उपस्थित लोगों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फौज के सभी सैनिकों को एक साथ भारत रत्न और परमवीर चक्र प्रदान करने की मांग की।

 

‘मेरी देश की उन्नति ही मेरी उन्नति है’ के भाव और ‘जय हिंद’ के जयघोष के साथ सभी ने नेताजी के सिद्धांतों पर चलने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का समापन आज़ाद हिंद फौज के राष्ट्रीय गान के साथ हुआ।

 

यह आयोजन न केवल नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रति गहरी श्रद्धांजलि का प्रतीक था, बल्कि युवाओं के लिए उनके आदर्शों और सिद्धांतों को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी। इस तरह के कार्यक्रम युवाओं को प्रेरित करते हैं कि वे अपने देश की समृद्ध विरासत और स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों को याद रखें और देशभक्ति की भावना को मजबूत करें।

 

नेताजी के साहस और उनके विचार आज भी हमें प्रेरणा देते हैं कि किस प्रकार अपने देश के लिए निःस्वार्थ भाव से कार्य करना चाहिए। इस कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा साझा किए गए विचार और तथ्य न केवल प्रेरणादायक थे, बल्कि यह भी संकेत देते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ी को नेताजी के आदर्शों पर आधारित शिक्षा और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।

 

“जय हिंद” का उद्घोष और नेताजी के सिद्धांतों पर चलने का संकल्प हर युवा को अपने कर्तव्यों का बोध कराता है। ऐसे आयोजनों से यह उम्मीद की जा सकती है कि देश का हर नागरिक नेताजी के सपनों का भारत बनाने में अपनी भूमिका निभाएगा।

 

लेखक: रविंद्र आर्य

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