जगरांव मंडी में लगे घोड़ों के मेले की रौनक बना कई खासियतों वाला घोड़ा ‘रतन-ताज’

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कभी बांधकर नहीं रखा रतन-ताज को, उसके मालिक

कमल गिल ने बताई इस शानदार घोड़े की खासियतें

जगरांव 19 सितंबर। यहां मंडी में लगे घोड़ों के मेले में यूं तो कई खास नस्ल के घोड़े लाए गए। इनमें ही एक फुर्तीला, खूबसूरत और कई खासियतों पर एक घोड़ा ‘रतन ताज’ मेले की रौनक बना रहा।

इसे मेले में लेकर आने वाले एसएस स्टड फार्म के नौजवान मालिक कमल गिल ने ‘यूटर्न टाइम’ से घोड़ों को लेकर खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि वह मेले में अपने दो खास घोड़े रतन ताज और गुलबाग को लेकर आए हैं। उन्होंने बताया कि पहले रतन ताज का असली नाम ताज था। यह रत्नाकर लाइन का घोड़ा है, मारवाड़ी लाइन के करीब ही होता है। हमने इसका नाम चेंज नहीं किया। जहां इसने जन्म लिया, वहां इसका नाम रतन था। उसके साथ ताज जोड़कर रत्नाकर नस्ल को आगे बढ़ाने वाले को ट्रिब्यूट दी गई। जिनकी एक्सिडेंट-डैथ हो गई थी।

उन्होंने बताया कि शो में हिस्सा लेने वाले घोड़ों की प्राइम एज 8 साल होती है। जबति रतन ताज अब 13 साल का हो चुका है। यह पहले कभी बाहर नहीं निकाला गया, पहली बार इस मेले में लेकर आए हैं। उम्र ज्यादा होने के बावजूद हालांकि यह ब्रीडिंग के लिए सक्षम है। पहले यह जिनके पास था, उन्होंने भी इससे कभी शो नहीं कराए, यह पहली बार मंडी में आया है।

उन्होंने बताया कि रतन तान के बच्चे भी खास हैं। मेरे भाई लवी के इसकी बच्ची किटकैट घोड़ी है। जो हनुमानगढ़ के शो में दूसरे नंबर पर आई थी। रतन ताज को जन्म के बाद कभी बांधा नहीं गया। अब इसे ट्रेंड कर रहे हैं, वैसे मंडी में एग्रेसिव घोड़ा ही अच्छा लगता है। कमल के मुताबिक पहले घोड़े की लाइफ 15 साल होती है, अब 40 साल भी हो जाती है। इसकी वजह यह है कि अगर घोड़े की डाइट नेचुरल रखेंगे, मेडिसन कम देंगे, घास में रखेंगे तो उसकी उम्र बढ़ जाती है। घोड़ा दिन में एक बार ब्रीडिंग कर सकता है। हालांकि गर्मी में उसे रेस्ट देना चाहिए। मौसम का ब्रीडिंग-रिजल्ट पर फर्क नहीं पड़ता है। ब्रीडिंग सीजन सितंबर से शुरु होता है। वैसे इसके लिए मौसम नार्मल होना चाहिए।

कमल ने बताया कि इस घोड़े की हाइट 52 इंच है। वैसे आजकल घोड़ों की एवरेज हाइट 64 इंच रहती है। मारवाड़ी घोड़े राजा-महाराजा पसंद करते थे। ये एग्रेसिव और दिलेर भी होते हैं, उनको जंग में ऐसे ही घोड़े की जरुरत होती थी। कमल ने दिलचस्प अनुभव बताया कि वह घोड़ी की बजाए घोड़े पर सवारी करते हैं। दरअसल घोड़ी के मुकाबले घोड़ा तनकर यानि अकड़कर चलता है। वह कहते हैं कि घोड़े की देखभाल नियमित करनी होती है।

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