लुधियाना कोर्ट कांप्लेक्स में जाली वकीलों का गैंग सक्रिय होने की चर्चाएं
राजदीप सिंह सैनी
लुधियाना 15 मार्च। लुधियाना जिला कोर्ट कांप्लेक्स में काला कोट पहनकर लोगों के केस लड़ने और तहसीलों में रजिस्ट्रियों की गवाही देने वाले एक जाली वकील और उसके एडवोकेट साथी पर पुलिस ने कार्रवाई की है। थाना टिब्बा की पुलिस ने टिब्बा रोड गोपाल नगर के तरनजीत सिंह की शिकायत पर सुखमनी सिंह ओहरी उर्फ मनी और शहीद करनैल सिंह नगर के एडवोकेट डेविल गिल के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है। शिकायतकर्ता तरनजीत सिंह ने बताया कि वह रिटायर्ड फौजी है। जबकि उनकी और से समाजसेवा के काम किए जाते हैं। शिकायतकर्ता के अनुसार आरोपी सुखमनी सिंह उर्फ मनी खुद को वकील बताता है, जबकि उसके पास राजस्थान की जाली डिग्री है। उसकी और से कई और लोगों को भी जाली डिग्रियां दिलाई गई। इस पूरे जाली डिग्री गिरोह का मुख्य सरगना एडवोकेट डेविड गिल है।
घर पर ही बना रखी थी जाली डिग्री
शिकायतकर्ता तरनजीत सिंह ने पुलिस को दिए बयानों में बताया कि सुखमनी सिंह ओहरी वकील नहीं है। जिसके बावजूद उसके पास राजस्थान की सनराइज यूनिवर्सिटी की एलएलबी की डिग्री है। लेकिन जब उन्होंने यूनिवर्सिटी से पता किया तो पता चला कि उन्हों सुखमनी सिंह को कोई डिग्री जारी ही नहीं की। बाद में पता चला कि सुखमनी द्वारा डेविड गिल के साथ मिलकर घर पर ही डिग्री तैयार की हुई थी।
रिश्वत लेने के आरोप में विजिलेंस कर चुकी गिरफ्तार
शिकायतकर्ता का आरोप है कि आरोपी सुखमनी सिंह को 2020 में विजिलेंस द्वारा तहसीलदार ईस्ट रहे जगसीर सिंह के नाम पर रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। आरोप है कि उक्त मामले में एडवोकेट डेविड गिल व तहसीलदार जगसीर सिंह का नाम भी सामने आया था। लेकिन दोनों ने अपना बचाव कर लिया था। उक्त मामले में भी छह महीने जेल में रहने के बाद सुखमनी सिंह द्वारा खुद को वकील बताकर जमानत ली गई थी।
पहले फर्जी डिग्री ली, फिर दूसरी बार की तैयार
शिकायतकर्ता तरनजीत सिंह का आरोप है कि सुखमनी सिंह द्वारा पहले एलएलबी की फर्जी डिग्री ली गई। लेकिन इस बीच उस पर पर्चा हो गया। जिसके बाद उसने दोबारा से डिग्री तैयार की। शिकायतकर्ता का आरोप है कि एडवोकेट डेविड गिल और सुखमनी सिंह द्वारा स्टूडेंट्स को घर बैठे डिग्री दिलाने का झांसा देकर मोटी रकम वसूल की जा रही है।
राजस्थान की डिग्री और यूयी में लिया एनरोलमेंट नंबर
शिकायतकर्ता ने पुलिस को दिए बयानों में बताया कि लुधियाना में जाली वकीलों की लिस्ट बनने पर आरोपी ने राजस्थान की जाली डिग्री तैयार की। जबकि उसने यूपी से एनरोलमेंट नंबर ले रखा है। वहीं वे प्रैक्टिस लुधियाना में कर रहा है। यहां तक कि यूपी से एनरोलमेंट नंबर लेने के लिए आरोपी ने वहां का जाली एड्रेस भी बना रखा है। अगर वे लुधियाना में प्रैक्टिस कर रहा है तो उसे पंजाब व हरियाणा बार काउंसिल से एनरोलमेंट नंबर लेना चाहिए था।
कुछ सालों में बना करोड़ों का मालिक, शिअद का बताता है नेता
चर्चा है कि सुखमनी सिंह के पास पहले कुछ भी नहीं था। जबकि कुछ सालों में उसके पास 8 से 10 करोड़ की प्रॉपर्टी भी बन गई। वहीं उसने नई फॉरच्यूनर कार भी हाल ही में खरीदी है। हैरानी की बात तो यह है कि इतने कम समय में आखिर कौन सी बूटी उसके हाथ लगी जो करोड़पति बन गया। वहीं चर्चा है कि वह खुद को अकाली दल का नेता भी बताता है। कई नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर मौजूद है।
कई केसों में हो चुका पेश, रजिस्ट्रियों में दे चुका गवाही
हैरानी की बात तो यह है कि एक व्यक्ति जाली वकील बनकर और लुधियाना बार एसोसिएशन का मेंबर न होने के बावजूद जिला कोर्ट में काला कोट पहनकर घूमता रहा और किसी को पता तक नहीं चला। चर्चा है कि आरोपी लोगों से खुद को वकील बताकर उनके केस पकड़ता था। वह कई केसों में अदालत में पेश भी हो चुका है। जबकि उसने कई तहसीलों में जाकर रजिस्ट्रियों की गवाही भी दी है। अब देखना होगा कि क्या पुलिस सभी केसों की गवाही और रजिस्ट्रियों की जांच करेगी या नहीं।
आरोपियों पर पहले भी जाली डिग्रियों के लग चुके आरोप
एडवोकेट डेविड गिल और सुखमनी सिंह पर पहले भी जाली डिग्री दिलाने के आरोप लग चुके हैं। यह मामला थाना डिवीजन नंबर पांच पुलिस ने परमिंदर सिंह की शिकायत पर दीपक प्रजापति पर दर्ज किया था। परमिंदर का आरोप था कि उसे दीपक ने मेरठ यूनिवर्सिटी के सर्टिफिकेट दिलवाए और बाद में उसे पंजाब व हरियाणा बार काउंसिल का फर्जी लाइसेंस दिलवाया। जब उसने नेशनल बार काउंसिल का लाइसेंस लेने के लिए आवेदन किया तो उसे पता चला कि यह किसी और के नाम पर जारी हुआ है। परमिंदर अनुसार उसके बचपन के दोस्तों सुखमनी और डेविड गिल ने ही दीपक से मुलाकात करवाई थी।
अभी मामले की पूरी जानकारी नहीं
लुधियाना बार एसोसिएशन के प्रेजिडेंट विपिन सग्गड़ ने बताया कि उन्हें मामले का पता चला है, लेकिन अभी मेरी तरफ से एफआईआर नहीं देखी गई और न ही पुलिस द्वारा की गई जांच का पता चला है। सोमवार को इस पूरे मामले को देखा जाएगा, उसके बाद ही कुछ बोला जा सकता है। पुलिस जांच में अगर वह गलत पाए जाते हैं तो कानून जरुर बनती कार्रवाई करे।