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रबाब वाद्ययंत्र: श्री गुरु नानक देव से लेकर बॉलीवुड तक – अन्तिमा धुपड़ 

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रबाब, जो एक अफगानी तार वाद्य यंत्र है, ने बॉलीवुड संगीत पर गहरा प्रभाव डाला है। इसकी धुनों ने भारतीय सिनेमा में एक खास जगह बनाई है। रबाब का इतिहास श्री गुरु नानक देव जी और उनके साथी भाई मर्दाना से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इसे अपने भक्ति और शांति के संदेश फैलाने के लिए इस्तेमाल किया था। रबाब की आवाज़ में एक ऐसी गहराई और शांति है जो सुनने वालों के दिलों को छू लेती है, और इसे सुनकर एक आध्यात्मिक अनुभव होता है।बॉलीवुड में रबाब के मधुर सुर कई मशहूर गीतों में सुने जा सकते हैं। “तू ना जा मेरे बादशाह” और “मेरे हाथ में तेरा हाथ हो” जैसे गानों में रबाब का उपयोग रोमांस और चाहत की गहरी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए किया गया है। इसी तरह, “यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी” और “ए मेरे प्यारे वतन” में यह दोस्ती, वफादारी और देशभक्ति को दर्शाता है। इन गीतों में रबाब का प्रयोग उन भावनाओं को और भी प्रभावी बनाता है, जिससे ये गाने सदाबहार बन गए हैं।

 

रबाब की बहुमुखी प्रतिभा “चप्पा चप्पा चरखा चले” और “चांद सिफ़ारिश जो करता हमारी” जैसे गीतों में भी दिखाई देती है। इसकी अनूठी ध्वनि गीतों को और भी भावनात्मक और यादगार बना देती है। रबाब के सुर फिल्मों की कहानी को और भी गहरा और प्रभावशाली बनाते हैं, जिससे यह संगीतकारों का पसंदीदा वाद्य यंत्र बन गया है। इसकी विशिष्ट ध्वनि फिल्म के दृश्य को गहराई और समृद्धि प्रदान करती है, जिससे दर्शक और भी जुड़ाव महसूस करते हैं।

मध्य एशियाई मूल के बावजूद, रबाब बॉलीवुड6 में एक प्रमुख स्थान रखता है। यह न केवल फिल्मों की कहानी को संवर्धित करता है बल्कि भारतीय और अफगानिस्तान की संगीत विरासत को भी जोड़ता है। बॉलीवुड में भी इसका प्रयोग बखूबी किया गया है | रबाब की ध्वनि पारंपरिक लोक धुनों से लेकर आधुनिक सिनेमा तक हर जगह सुनाई देती है, और यह भारतीय संगीत का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। इसकी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक महत्व के लिए इसे सराहा जाता है। श्री गुरु नानक देव जी और भाई मर्दाना के समय से लेकर आज तक, रबाब की यात्रा इसकी स्थायी विरासत और प्रभाव को दर्शाती है, जो दर्शकों के दिलों को छूती है। इसकी ध्वनि में एक ऐसी शक्ति है जो सुनने वालों को एक गहरा अनुभव प्रदान करती है। रबाब की इस यात्रा ने इसे न केवल एक वाद्य यंत्र के रूप में बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में भी स्थापित किया है, जो भारतीय संगीत की धरोहर को समृद्ध करता है।

 

अन्तिमा धुपड़

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