नगर निगम लुधियाना ने भ्रष्टाचार के तोड़े रिकॉर्ड, गिनीज बुक में नाम हो सकता दर्ज
लुधियाना 3 जनवरी। लुधियाना में भ्रष्टाचार करने में अव्वल रहने वाले पंजाब सरकार के नगर निगम विभाग द्वारा लगातार सभी रिकॉर्ड तोड़े जा रहे हैं। आए दिन निगम अफसरों के घोटाले सामने आ रहे हैं। हालात यह है कि भ्रष्टाचार में निगम अफसरों द्वारा इतने रिकॉर्ड तोड़े दिए गए हैं कि उनका नाम अब गिनीज बुक में दर्ज होना चाहिए। दरअसल, नगर निगम के सीवरेज एंड वाटर सप्लाई विभाग के ओएंडएम (ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस) सेल द्वारा सीएम पंजाब की तरफ से विकास कार्यों के लिए रखी एमरजेंसी फंड की सुविधा का इस कदर फायदा उठाया कि इस फंड की आढ़ में मात्र चार महीने में ही ज्यादातर जाली बिल बना आठ करोड़ का फंड इस्तेमाल कर लिया गया। जबकि फंड का इस्तेमाल किसी विकास कार्य में नहीं बल्कि अधिकारियों द्वारा अपनी जेबें भरने में किया गया। जिसके लिए जमकर जाली बिल बनवाए गए। इस फंड को जारी करने की पावर सिर्फ निगम कमिश्नर के पास होती है। चर्चा है कि कमिश्नर द्वारा जमकर इसका फायदा उठाया गया। इस घोटाले में ओएंडएम सेल के एससी, एक्सियन से लेकर नीचे सत्र के अफसर और निगम के उच्च अधिकारी भी शामिल हैं। बता दें कि एमरजेंसी फंडिंग में सिर्फ कुछ ही कार्य करवाए जा सकते है। लेकिन निगम अफसरों द्वारा इस फंड को हर कार्य में खर्च करने के बिल दिखाकर मोटी कमाई की गई है। हैरानी की बात तो यह है कि इस घोटाले की खबर विभाग से बाहर तक पहुंच गई, लेकिन निगम कमिश्नर और अन्य अफसरों को इसके बारे में अभी तक नहीं पता चल सका।
लोगों के फायदे को जारी सुविधा, अफसर घर भरने में लगे
जानकारी के अनुसार निगम के कई कार्यों में एकदम फंड होने की जरुरत को समझते हुए करीब तीन साल पहले पंजाब सरकार द्वारा एमरजेंसी फंड की सुविधा शुरु की थी। जिससे लोगों को किसी तरह की परेशानी न आए। इस फंड के लिए सिर्फ नगर निगम कमिश्नर के पास ही पावर है। कमिश्नर के हस्ताक्षर के बाद ही बिल पास हो सकता है। बेशक पंजाब सरकार द्वारा लोगों को फायदा पहुंचाने को फंड की सुविधा दी गई, लेकिन अफसरों ने इन्हें अपने घर भरने में इस्तेमाल करना शुरु कर दिया।
चार महीने में 320 बिल कर डाले पास
जानकारी के अनुसार इस एमरजेंसी फंड में निगम कमिश्नर द्वारा एक बिल ढ़ाई लाख रुपए तक पास किया जा सकता है। चर्चा है कि इसी तरह ढ़ाई-ढ़ाई लाख तक के बिल बनाकर आठ करोड़ का हेरफेर कर दिया गया। जबकि यह आठ करोड़ का फंड एक मई 2024 से लेकर सितंबर 2024 तक चार महीने में निकाला गया। जिसके चलते करीब 320 बिल तैयार कर इस फंड का मिसयूज किया गया। यानि कि प्रतिदिन 3 से 4 बिल पास किए गए।
संदीप ऋषि के कार्यकाल में निकाला गया फंड
जानकारी के अनुसार यह फंड नगर निगम के पूर्व कमिश्नर संदीप ऋषि के कार्यकाल के दौरान निकाला गया है। इस फंड के लिए निगम कमिश्नर के हस्ताक्षर होने के चलते पूर्व कमिश्नर संदीप ऋषि पर भी बड़े आरोप लग रहे हैं। वहीं चर्चा इन फंड में ज्यादातर बिल वाटर सप्लाई, सीवरेज व वर्कशॉप के कार्यों के तैयार किए गए हैं। जिसमें सीवरेज व पानी की लाइन डालने, टायर बदलने व गाड़ियों की रिपेयरिंग दिखाई गई है।
70 प्रतिशत अफसरों, 30 प्रतिशत ठेकेदार का होता है हिस्सा
चर्चा है कि जिन चार महीने के समय में यह घोटाला हुआ, तब ओएंडएम सेल के एससी रविंदर गर्ग, एक्सियन रणबीर सिंह, एकजोत सिंह और प्रशोत्तम तैनात थे। चर्चा है कि इन अधिकारियों के कार्यकाल के दौरान ही यह बिल पास करवाए गए। जिसमें ज्यादातर बिल एक्सियन रणबीर सिंह के कार्यकाल में पास करवाए गए। चर्चा है कि इन बिल में 70 प्रतिशत हिस्सा अफसरों का और 30 प्रतिशत हिस्सा ठेकेदार का था।
ज्यादतर बिल जाली, टैक्सी मालिक ने करवाए तीन करोड़ के बिल पास
चर्चा है कि जिन बिलों के आधार पर आठ करोड़ फंड इस्तेमाल करने का दिखाया जा रहा है, उसमें ज्यादातर बिल जाली है। जबकि ज्यादातर सप्लायर भी जाली हैं। जिनके सिर पर इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया है। वहीं चर्चा है कि एक टैक्सी मालिक भी टैक्सी सप्लाई करने आया था। लेकिन उसने अफसरों के साथ मिलकर खुद भी बिल पास करवाने शुरु कर दिए। चर्चा है कि उक्त टैक्सी मालिक द्वारा तीन करोड़ के बिल पास करवाए गए हैं।
आप और विपक्ष के नेता भी चुप्पी साधे बैठे
आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों द्वारा भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के दावे किए जाते हैं। लेकिन उनके नाक तले सरेआम निगम अफसर घोटाले कर रहे हैं और उन्हें पता ही नहीं चल पा रहा। वहीं विपक्षी नेता भी जनता के पक्ष में होने की बातें करते हैं। लेकिन वह भी चुप्पी साधे बैठे हैं। उनकी तरफ से भी इन घोटालों को उजागर करने में कही न कही गुरेज की जा रही है।