कांग्रेस प्रदेश प्रधान राजा वड़िंग और पूर्व मंत्री परगट सिंह की मुलाकात से पार्टी के कुछ नेताओं ही, विपक्षी भी चौकन्ने
चंडीगढ़,, 29 अगस्त। हरियाणा विधानसभा चुनाव में आपसी गुटबाजी के चलते कांग्रेस ने एकतरह से भाजपा को स्पष्ट जीत ‘तोहफे’ में दी थी। इसके बाद अब कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब में अपनी इकाई को सतर्क कर दिया है। लगता है कि उन्हें इस पूर्व चेतावनी का एहसास हो गया है।
यही कारण है कि एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम में पंजाब कांग्रेस के प्रधान व लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िग के तेवर नरम हुए हैं। पुराने मतभेद के बावजूद वह जालंधर कैंट के विधायक व पूर्व मंत्री परगट सिंह के साथ ‘संविधान बचाओ’ रैली से पहले एकजुट दिखाई। उन्होंने जालंधर के मीठापुर स्थित परगट के आवास पर से मुलाकात की। इसे लेकर पार्टी हल्कों में चर्चा है कि इस मुलाकात से उनके तनावपूर्ण संबंधों में महत्वपूर्ण सुधार होगा। यह मुलाकात अटकलों के बीच हुई है, क्योंकि परगट कथित तौर पर पार्टी में वड़िंग की स्थिति पर नज़र गड़ाए हुए हैं।
एक रैली में, वड़िंग ने कहा भी कि अन्य सभी दल तनाव में हैं, क्योंकि हमारी (वड़िंग और परगट) तस्वीरों में एकता दिखाई दे रही है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कांग्रेस का ध्यान किसानों और हाशिए पर पड़े समुदायों के हक में लड़ने पर है। उन्होंने मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने की अटकल को भी खारिज किया। सूत्रों के अनुसार, हाईकमान ने पंजाब के कांग्रेसी नेताओं के बीच जारी वाकयुद्ध समाप्त करने की नसीहत दी थी। एक वरिष्ठ नेता ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, दिल्ली ने पंजाब नेतृत्व को 2027 के चुनावों के लिए रणनीति बनाने और संगठनात्मक ढांचा मज़बूत करने के लिए कहा है।
रैली के बाद मीडिया से बात करते हुए भी वड़िंग ने दावा किया कि पंजाब में कांग्रेस में कोई अंदरूनी कलह नहीं है और पूरा नेतृत्व एकमत है। चाहे कोई भी मुख्यमंत्री बने, कांग्रेस 2027 का चुनाव जीतेगी। सीएम आलाकमान तय करेगा।
मर्ज बढ़ता ही गया, ज्यों-ज्यों दवा की :
गौरतलब है कि पंजाब कांग्रेस 2022 के विस चुनाव में सत्ता से बेदखल होने के बाद से ही आंतरिक कलह से जूझ रही है। उसे 117 में से केवल 18 सीटें ही मिली थीं। तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने और नवजोत सिंह सिद्धू की बगावत से जुड़े संकट के बाद 2021 में तेज हुई गुटबाजी, बाद के वर्षों में भी जारी है। अप्रैल, 2022 में वड़िंग को पीपीसीसी अध्यक्ष बनाने का उद्देश्य इकाई को स्थिर करना था। हालांकि पासा उल्टा पड़ गया, हाईकमान के इस फैसले गुटबाजी और तेज हो गई। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में 13 में से सात सीटें मिलने से थोड़ी राहत मिली। फिर भी लुधियाना पश्चिम विस सीट के उपचुनाव में हार और अंदरूनी कलह ने तत्काल सुधार की आवश्यकता पैदा कर दी।
कांग्रेस के पंजाब प्रभारी महासचिव भूपेश बघेल ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए पार्टी के नेताओं को एकजुट होकर जनहित के मुद्दे उठाने की जरुरत बताई थी।