पंजाब भाजपा चले कारतूसों के भरोसे !

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बीजेपी में टकसाली परिवार खाली हाथ, मौकापरस्त चाट रहे ‘मलाई’

चंडीगढ़, 30 सितंबर। पंजाब में भाजपा का एक सुनहरा दौर भी रहा। जब उसने सूबे की सबसे पुरानी पंथक-पार्टी शिअद से हाथ मिलाकर सत्ता-सुख भोगा था। वक्त-हालात बदलने के साथ ऊपर से लेकर नीचे तक यानि पंजाब में ‘चाल, चरित्र और चेहरे’ की दुहाई देने वाली भारतीय जनता पार्टी पर ‘मौकापरस्ती’ का ठप्पा लगा।

जानकारों की मानें तो हाईकमान के दबाव में बीजेपी ने शिरोमणि अकाली दल-बादल ने नाता तोड़ लिया। ऐसे में अपना अस्तित्व बचाने को पार्टी ने जोड़तोड़ से दूसरी पार्टियों के कथित दिग्गज नेताओं को अपने पाले में लाने का अभियान चलाया। इसी अफरातफरी में दूसरी पार्टियों के कई नेताओं को साथ लाने से बीजेपी के सीनियर नेताओं से लेकर टकसाली वर्कर तक हताश होकर घर बैठ गए या दूसरे दलों में चले गए।

पंजाब ने यह दांव क्यों चला ?

 

चर्चाओं के अनुसार किसी दौर में पंजाब भाजपा के पास तमाम मॉस-लीडर थे। मसलन, काले दौर में सक्रिय रही वरिष्ठ नेत्री व सूबे की पूर्व मंत्री प्रो.लक्ष्मीकांता चावला, राज्यसभा सांसद लाला लाजपत राय, लुधियाना से विधायक रहे तेजतर्रार नेता प्रो.विश्वनाथन, पूर्व मंत्री सतपाल गोसाईं व अनिल जोशी प्रमुख नाम हैं। इनमें कुछ नेता नहीं रहे और कई पार्टी की बदलती चाल, चरित्र व चेहरे से हताश होकर निष्क्रिय हो गए या घर बैठ गए। ऐसे में पार्टी को अहसास हुआ कि कुछ किया जाए। नतीजतन हाईकमान को समझाकर दूसरे दलों के कई बड़े चेहरे धड़ाधड़ पार्टी में शामिल कर डाले।

बाहरी नेता नहीं कर पाए करिश्मा, दांव उल्टा पड़ा :

 

 

कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे व पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ को जोशखरोश से बीजेपी में लाया गया था। उनके साथ शिअद के अलावा आप व आम आदमी पार्टी के भी कई नेता भी अपने पाले में लाए गए थे। इसके बावजूद लुधियाना सीट पर बीजेपी लोकसभा चुनाव हारी। जालंधर और लुधियाना वैस्ट विधानसभा समेत छह उप सीटों के उप चुनाव में भी शिकस्त खाई। कुल मिलाकर ऐसे हालात में भाजपा के नेताओं के साथ पुराने वर्कर भी हताश हैं। जो पंजाब और लुधियाना के भाजपा नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं।

प्रो.भंडारी जैसे नेताओं ने संभाली थी विरासत :

यहां उल्लेखनीय है कि पंजाब में एक दौर था, जब प्रो.लक्ष्मीकांता चावला के साथ ही मास्टर मोहन लाल और प्रो.विश्वनाथन सरीखे बुद्धिजीवी बतौर मॉस-लीडर उभरे थे। उसी विरासत को सहेजते हुए प्रो.राजिंदर भंडारी ने पंजाब भाजपा की कमान संभाली थी। वर्करों का मानना है कि पार्टी में ऐसे ही नेता तलाशकर उनको प्रमोट किया जाए।

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