पंजाब विधानसभा ने पंजाब वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 और पंजाब सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया

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चंडीगढ़, 29 सितंबर

पंजाब माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 और पंजाब सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2025 को सोमवार को पंजाब विधानसभा द्वारा वित्त, योजना, आबकारी और कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा द्वारा पेश किए जाने के बाद सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।

पंजाब वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 पर बोलते हुए, मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि इस विधेयक में पंजाब वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की कई धाराओं में संशोधन का प्रस्ताव है, जिनमें धाराएँ 2, 12, 13, 17, 20, 34, 38, 39, 107, 112 और अनुसूची III शामिल हैं, साथ ही नई धाराएँ 122A और 148A भी जोड़ी गई हैं। इन संशोधनों का उद्देश्य केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के साथ एकरूपता सुनिश्चित करना है, जिसे हाल ही में वित्त अधिनियम, 2025 द्वारा संशोधित किया गया है।

वित्त मंत्री ने विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा द्वारा जीएसटी प्रणाली के संबंध में उठाई गई चिंताओं का भी समाधान किया, जिसमें उन्होंने पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के एक लेख का हवाला दिया। चीमा ने याद दिलाया कि जीएसटी का प्रस्ताव मूल रूप से 2006 में स्वयं श्री चिदंबरम द्वारा ही रखा गया था, लेकिन विरोध के कारण यूपीए सरकार ने इसे लागू नहीं किया था। उन्होंने कहा कि बाद में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने ‘एक राष्ट्र एक कर’ के सिद्धांत पर इस अवधारणा को आगे बढ़ाया, जिस पर पंजाब के तत्कालीन वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने दिल्ली में सहमति व्यक्त की थी। उस समय, केंद्र सरकार ने वादा किया था कि राज्यों की अर्थव्यवस्था स्थिर होने तक क्षतिपूर्ति उपकर जारी रहेगा, लेकिन वर्ष 2022 के बाद यह उपकर बंद कर दिया गया।

पंजाब पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए, वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि राज्य की जीएसटी-पूर्व राजस्व तटस्थ दर 18.3 प्रतिशत थी, जो देश की औसत दर 14 प्रतिशत से काफ़ी ज़्यादा है। जीएसटी लागू होने के बाद, पंजाब को आठ वर्षों में 1 लाख 11 हज़ार करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि मुआवज़ा कर से उसे केवल 61,000 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए। मंत्री ने बताया कि कई अन्य राज्य भी जीएसटी के कारण राजस्व घाटे से जूझ रहे हैं, लेकिन भाजपा के बहुमत के कारण केंद्र सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है।

वित्त मंत्री ने आगे ज़ोर देकर कहा कि कांग्रेस पार्टी को जीएसटी का प्रस्ताव रखते समय राज्यों के संभावित नुकसान पर विचार करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पंजाब जैसे उत्पादक राज्य इसका खामियाजा भुगत रहे हैं क्योंकि जीएसटी एक उपभोक्ता-आधारित कर है। वित्त मंत्री चीमा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से राज्यों की अर्थव्यवस्था को अस्थिर न करने की अपनी बार-बार की गई अपील को साझा किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर संघीय ढाँचे से समझौता किया गया, तो राज्य केंद्र के अधीन नगरपालिका समितियों की स्थिति में सिमट जाएँगे।

वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने चिंता व्यक्त करते हुए समापन किया कि भाजपा बाबासाहेब भीम राव अंबेडकर द्वारा रचित संविधान को सुनियोजित तरीके से कमजोर कर रही है और ‘एक राष्ट्र एक कर’ और ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ जैसी नीतियों को संघीय ढांचे के लिए विनाशकारी बता रही है। उन्होंने दोहराया कि आम आदमी पार्टी ऐसी सभी नीतियों का विरोध करती है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि जीएसटी प्रस्ताव कांग्रेस पार्टी की देन है।

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