वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
भाषा राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधती है : प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा।
कुवि के हिंदी विभाग द्वारा हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित।
कुरुक्षेत्र, 17 सितम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि हिन्दी भाषा राष्ट्रीय विचारधारा की संवाहक है जो राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधती है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी नारों ने देशभक्ति की अलख जगाने का कार्य किया। भाषा एक पुस्तकालय की तरह होती है तथा भाषा का प्रभाव धर्म से भी बढ़कर है। उन्होंने कहा कि भाषा संप्रेषण का साधन ही नहीं अपितु यह व्यक्तित्व में भी निखार लाती है। इसलिए हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए। वे मंगलवार को हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में ‘विश्व का तोरण द्वार है हिंदी’ विषय पर ऑफलाइन व ऑनलाइन मोड में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। इससे पहले कुलपति प्रो. सोमनाथ ने हिंदी विभाग में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं हिंदी विद्वान डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त के नाम से सेमिनार हॉल का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कुवि कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, प्रो. एनके माटा, प्रो. अनिल मित्तल, व डीन हिंदी विभाग प्रो. पुष्पा रानी मौजूद रही।
कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि वर्तमान में 57 प्रतिशत लोग हिन्दी का भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। यूट्यूब, ओटीटी कंटेंट, फिल्म उद्योग, हिन्दी न्यूज एवं खेल चैनल तथा समाचार पत्रों के सबसे ज्यादा हिन्दी यूजर है। उन्होंने कहा कि आजादी के आन्दोलन के दौरान वंदे मातरम, इंकलाब जिंदाबाद, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा आदि नारों ने देश के वीर जवानों में उत्साह भरकर राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया। कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ ने कहा कि 140 करोड़ लोगों में से 3 लाख लोग ही अंग्रेजी बोलते हैं लेकिन हिन्दी भाषा का प्रयोग करने वालों में फिर भी आत्मविश्वास की कमी है। विश्व की लगभग 7 हजार 115 भाषाओं में से हिन्दी का तृतीय स्थान है। इसलिए हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी शिक्षा ग्रहण करने को लेकर मातृभाषा पर जोर दिया गया। केयू द्वारा अंग्रेजी की बाध्यता को समाप्त करते हुए प्रबंधन, इंजीनियरिंग एवं साइंस के परीक्षार्थियों को हिन्दी में परीक्षा देने का कार्य भी किया गया है।
कुवि कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि आज का युवा शुद्ध हिन्दी के प्रयोग करने में सक्षम नही है इसलिए हिन्दी भाषा को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा अ से अनपढ़ होकर ज्ञ से ज्ञानी बनाती है। उन्होंने युवा पीढ़ी से हिन्दी भाषा के प्रयोग एवं प्रचार-प्रसार का आह्वान किया।
अध्यक्ष एवं डीन हिंदी विभाग व संगोष्ठी की संयोजक प्रो. पुष्पा रानी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं हिंदी विद्वान डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त के नाम से सेमिनार हॉल के लिए यूएसए स्थित उनके सुपुत्र अमिताभ गुप्त ने 15 लाख 22 हजार रुपये की अनुदान राशि दी है। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार का उपयोग आर्ट्स फैकल्टी के विभागों सहित अन्य विभाग भी कर सकेंगे।
इस अवसर पर डाॅ. गणपति चन्द्र गुप्त के परिवार के सदस्य एवं केयू के पूर्व प्रो. नरेन्द्र माटा ने डाॅ. गणपति चन्द्र गुप्त की शिक्षा से जुड़ी जानकारी को साझा किया तथा परिवार की ओर से केयू प्रशासन का आभार प्रकट किया। कुका के निदेशक प्रो. अनिल मित्तल ने कहा कि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा द्वारा केयू एलुमनी एसोसिएशन के फिर से सक्रिय करने से इस प्रकार के सकारात्मक परिणाम हमारे समक्ष है।
इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, प्रो. अनिल मित्तल, प्रो. एनके माटा, प्रो. ब्रजेश साहनी, प्रो. दिनेश गुप्ता, प्रो. सुभाष चन्द, प्रो. मनोज जोशी, प्रो. जोगिन्द्र सिंह, प्रो. शुचिस्मिता, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, डॉ. कुलदीप सिंह, डाॅ. कंवल गर्ग, डॉ. अजायब सिंह, डाॅ. अजय जांगड़ा, डाॅ. चंद्रकला माटा, डाॅ. बीर सिंह, कैप्टन रामकुमार शर्मा, सहित शिक्षक, शोधार्थी व विद्यार्थी मौजूद थे।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वानों ने किए विचार प्रकट।
बुल्गारिया से विशिष्ट वक्ता डॉ. कंचन शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति सहिष्णुता एवं उदारता की प्रतीक है। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व में भी हिन्दी भाषा की विरासत समृद्ध है जहां ललित मंजरी पत्रिका के साथ इसका उदय हुआ। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी देशों में शिक्षा का माध्यम उनकी मातृभाषा है। एनईपी 2020 में भी मातृभाषा द्वारा शिक्षा ग्रहण करने पर जोर दिया गया है। इस अवसर पर ऑस्ट्रेलिया से मुख्य वक्ता मधु खन्ना, जापान से डाॅ. रमा शर्मा, विशिष्ट अतिथि रांची विश्वविद्यालय (रांची) से डॉ. जे.बी. पाण्डे, विशिष्ट वक्ता डीएवी कॉलेज (करनाल) के प्रिंसिपल डॉ. रामपाल सैनी ने हिन्दी भाषा की महत्ता पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।