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चंडीगढ़ में एडवाइजर पद खत्म करने पर गर्माई सियासत, भड़के राजनेता

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आप और शिअद ने इस पंजाब के हक पर डाका डालने जैसी साजिश करार दिया

चंडीगढ़/यूटर्न/8 जनवरी। यूटी प्रशासन में केंद्र सरकार ने 40 साल बाद बड़ा प्रशासनिक बदलाव कर दिया। जिसके तहत प्रशासनिक सलाहकार का पद खत्म कर दिया गया है। इसके साथ ही मुख्य सचिव का पद सृजित किया गया है। वहीं चंडीगढ़ में दो आईएएस अधिकारियों के पद भी बढ़ाए गए हैं। अब अधिकारियों की संख्या 11 हो गई है।

जानकारी के मुताबिक इस मामले में राजनीति भी गर्मा गई है। पंजाब में आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल-बादल ने केंद्र के इस पर आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि यह फैसला पंजाब के अधिकारों पर डाका डालने जैसा है, इस बात को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। चंडीगढ़ बनने के बाद यहां चीफ कमिश्नर का पद हुआ करता था, लेकिन 3 जून 1984 को इस बात को बदल दिया गया। इसके साथ ही चीफ कमिश्नर का पद खत्म कर प्रशासन सलाहकार का पद सृजित किया गया। जबकि अब इस पद को खत्म कर चीफ सेक्रेटरी बना दिया गया है।

वहीं जानकारों की मानें तो इस बदलाव से चंडीगढ़ का प्रशासनिक ढांचा मजबूत होगा। चंडीगढ़ में जो भी अधिकारी सलाहकार के पद पर आएगा, वे मुख्य सचिव के पद पर होगा। हालांकि यहां उसे सलाहकार कहा जाता है। इसलिए इस पद की मांग लंबे समय से की जा रही थी।

आप प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी करके सलाहकार का एक पद खत्म करके चीफ सेक्रेटरी पद बनाया गया है। यह पंजाब सरकार को बर्दाश्त नहीं है, क्योंकि चंडीगढ़ के प्रशासनिक सिस्टम में तब्दीली करना, पंजाब के हकों पर डाका मारने जैसा है।

वहीं शिअद नेता अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा केंद्र ने गुपचुप तरीके से पंजाब के हकों को मारने का फैसला लिया है। मुख्य सचिव तो राज्यों के होते हैं। चंडीगढ़ को लेकर तो कोई सवाल नहीं है। इस पर तो देश की सांसद व हरियाणा की विधानसभा ने भी मोहर लगाई है कि यह पंजाब का है। फिर केंद्र सरकार क्यों इसे अलग राज्य का दर्जा देने की कोशिश कर रही है।

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