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सियासत ‘नचावे’ बुल्ले नू यार ते नचना पैंदा ए….

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वोटर रिझाने को राजनेता आजमा रहे टोटके

नदीम अंसारी

लुधियाना 5 मई। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में पंजाब की आर्थिक-राजधानी लुधियाना समेत सभी तेरह सीटों पर मतदान होना है। चुनाव का काउंट-डाउन जारी है और तमाम उम्मीदवार भी अपनी जीत तय करने की खातिर जी-जान लड़ा रहे हैं। वोटरों को रिझाने की खातिर सभी प्रमुख उम्मीदवार लुधियाना सीट पर भी एक से एक दिलचस्प टोटके आजमा रहे हैं।

भले ही लोकतंत्र के इस महापर्व में जनता के बुनियादी मुद्दे गायब हैं, लेकिन उम्मीदवार और उनके सहयोगी राजनेता वोटरों को रिझाने को नए-नए रुप धरने से भी नहीं हिचकिचा रहे। ऐसे में बाबा बुल्लेशाह का बेहद मशहूर सूफियाना गीत जुंबा पर आ जाता है, जो इन राजनेताओं पर सटीक बैठता है कि इश्क बुल्ले नूं नचावे यार ते नचना पैंदा ए…. बस फर्क इतना सा ही है, इश्क कहीं भी और किसी से भी हो सकता है। फिलहाल तो नेताओं का जोरदार इश्क सियासत के साथ चल रहा है। हकीकत में वाकई ऐसा ही कुछ हो भी रहा है। हमारी टीम ने ग्राउंड-रिपोर्टिंग के दौरान तीसरी आंख से ऐसे ही कई दिलचस्प मंजर देखे।

मसलन, एक धार्मिक समागम में लुधियाना लोस सीट से बीजेपी प्रत्याशी रवनीत सिंह बिट्‌टू पहुंचे। जहां भजन गायक ने सुर छेड़े तो उत्साहित श्रद्धालुओं ने मोदी-जिंदाबाद के नारे भी लगा डाले। धार्मिक के साथ राजनीतिक संगत देख भाजपा प्रत्याशी बिट्‌टू गदगद होकर नाचने लगे।

सोने पर सुहागा देखिए, इसी धार्मिक कार्यक्रम में कांग्रेसी उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वडिंग भी पहुंच गए। कभी कांग्रेस में रहते बिट्‌टू और वड़िंग सियासी-दोस्त थे, वक्त का फेर ही कहेंगे, फिलहाल दोनों वैचारिक-तौर पर सियासी-दुश्मन हैं। हालांकि इस सबके बावजूद दिलचस्प माहौल तब बना, जब वड़िंग ने पीछे से आकर बिट्‌टू का कंधा थपथपाया और गले भी लगा लिया। फिर दोनों भजन की धुन पर तालियां बजाते झूमते भी दिखे।

अब जरा एक नजर आम आदमी पार्टी पर, लुधियाना सीट से आप के उम्मीदवार अशोक पराशर उर्फ पप्पी शाहपुरिया भी इस मामले में पीछे नहीं रहे। शाहपुरिया भी शाही-अंदाज में अपना प्रचार रथ लेकर लुधियाना सीट के आत्मनगर इलाके में निकले। महाभारत वाले तेवर दिखाते आप उम्मीदवार रथ में विराजमान थे तो उनके सारथी बने इस विधानसभा हल्के के आप विधायक कुलवंत सिद्धू ने रथ में लगे घोड़े की लगाम थाम ली। वहीं, उनकी समर्थक जनता इस लोकतांत्रिक-महाभारत में असत्य पर सत्य की जीत के जयघोष करती नजर आई।

अब खुद को पंथक पार्टी कहलाने वाले शिरोमणि अकाली दल-बादल का हाल भी जान लीजिए। शिअद उम्मीदवार रणजीत सिंह ढिल्लों भी अपने अलग ही अंदाज में मतदाताओं को रिझा रहे हैं। एक समागम के दौरान वह बुजुर्गों-टकसाली अकाली नेताओं के पैर छूककर आशीर्वाद लेते नजर आए। जबकि गांव की सत्थ में बुजुर्गों के साथ जाकर भी बैठे।——(सभी फोटो : विशाल ढल्ल और मुनीष वशिष्ठ)

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