अजय कुमार,
लखनऊ 29 March : समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में गौशालाओं को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी को दुर्गंध पसंद है, इसलिए वे गौशालाएं बना रहे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी सुगंध पसंद करती है, इसलिए उन्होंने इत्र पार्क बनाए। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। बीजेपी ने इसे सनातन धर्म का अपमान बताया और कहा कि अखिलेश यादव की यह टिप्पणी हिन्दू परंपराओं का अपमान करने के बराबर है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह बयान न केवल गाय के सम्मान के खिलाफ है, बल्कि यह हिंदू संस्कृति और आस्था पर हमला भी है। उन्होंने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी अब पूरी तरह से वोट बैंक की राजनीति में उलझ चुकी है और इसी कारण इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं।
अखिलेश यादव का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बयान ने उनकी पार्टी के भीतर भी विवाद खड़ा कर दिया है। समाजवादी पार्टी के कई नेता सार्वजनिक रूप से तो कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन पार्टी के अंदरखाने में असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि गाय हमारी माता है और उनका सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का मूल आधार ही समाज के सभी वर्गों का सम्मान करना है और ऐसे बयानों से पार्टी की छवि प्रभावित होती है।
अखिलेश यादव पहले भी कई बार अपने बयानों के कारण विवादों में रह चुके हैं। हाल ही में उन्होंने राणा सांगा को लेकर भी एक विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिससे उनकी पार्टी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा, उन्होंने औरंगजेब को लेकर भी कुछ ऐसा कहा था जिससे हिंदू मतदाताओं में नाराजगी देखी गई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव अपनी राजनीति को बचाने के लिए मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह रणनीति उनके परंपरागत यादव वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकती है।
यादव समाज का गौ-सेवा से पुराना रिश्ता रहा है। महाभारत काल से लेकर आज तक यादव समुदाय में गाय को लेकर विशेष सम्मान देखा गया है। भगवान श्रीकृष्ण स्वयं यादव कुल में जन्मे थे और उनका जीवन गौ-सेवा में ही बीता। आज भी देश में यादव समुदाय गाय को लेकर अपनी भावनाएं प्रकट करता है और उसे अपनी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा मानता है। मुलायम सिंह यादव भी गौ-सेवा में विश्वास रखते थे और उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों पर कहा था कि उनके पास जितनी गायें हैं उतनी किसी और नेता के पास नहीं होंगी। जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने गौशालाओं को लेकर कई योजनाएं भी बनाई थीं।
अखिलेश यादव के इस बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे हिन्दू आस्था का अपमान बताते हुए कहा कि गाय भारतीय संस्कृति की आत्मा है और उसका अपमान सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव का बयान केवल राजनीति से प्रेरित है और यह समाज को बांटने की कोशिश है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी इस बयान की आलोचना की और कहा कि अखिलेश यादव अब पूरी तरह से अपनी राजनीतिक दिशा भूल चुके हैं और सिर्फ वोट बैंक की राजनीति में उलझे हुए हैं।
अखिलेश यादव का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दल अपनी रणनीति बना रहे हैं। बीजेपी अपनी हिंदुत्व की राजनीति को और मजबूत कर रही है और अखिलेश यादव के इस बयान ने बीजेपी को और आक्रामक बना दिया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अखिलेश यादव के इस बयान से उनका परंपरागत यादव वोट बैंक भी उनसे खिसक सकता है।
समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने अखिलेश यादव से अपील की है कि वे अपने बयान को स्पष्ट करें, ताकि इससे होने वाले संभावित नुकसान से बचा जा सके। यह भी संभव है कि आने वाले दिनों में अखिलेश यादव इस पर सफाई दें और कहें कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। यह पहला मौका नहीं होगा जब अखिलेश यादव को अपने बयान पर सफाई देनी पड़ी हो। इससे पहले भी वे कई बार अपने बयानों से पलट चुके हैं।
बीजेपी इस पूरे मुद्दे को भुनाने में लगी हुई है। बीजेपी के नेता इसे हिंदू आस्था से जोड़कर दिखा रहे हैं और अखिलेश यादव को हिंदू विरोधी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पहले ही समाजवादी पार्टी को मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए जाना जाता है और अब इस बयान के बाद बीजेपी को एक और मुद्दा मिल गया है। बीजेपी की आईटी सेल इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर प्रचार कर रही है और अखिलेश यादव की छवि को नुकसान पहुंचाने का हरसंभव प्रयास कर रही है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में यादव वोट बैंक का विशेष महत्व है। बीजेपी लंबे समय से यादवों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। मध्य प्रदेश में यादव मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने यह संदेश दिया था कि वे यादवों को भी सत्ता में उचित प्रतिनिधित्व दे रहे हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार में भी यादव समुदाय से कई मंत्री बनाए गए हैं। इन सबके जरिए बीजेपी यह बताना चाहती है कि समाजवादी पार्टी की तरह ही बीजेपी भी यादवों की हितैषी है। ऐसे में यदि अखिलेश यादव इसी तरह विवादित बयान देते रहे, तो यादव वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी की ओर जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में राजनीति के जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव को अपने बयानों में सावधानी बरतनी चाहिए और ऐसे मुद्दों पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए, जो समाज के एक बड़े वर्ग की भावनाओं को आहत कर सकते हैं। गाय भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, और उसके प्रति सम्मान व्यक्त करना सभी नेताओं की जिम्मेदारी होनी चाहिए। राजनीति में धर्म और आस्था से जुड़े मुद्दों पर बयान देते समय विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए, क्योंकि ऐसे मुद्दे लोगों की भावनाओं से सीधे जुड़े होते हैं।
अखिलेश यादव के इस बयान के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस पर क्या स्पष्टीकरण देते हैं और समाजवादी पार्टी इस पूरे विवाद को कैसे संभालती है। क्या अखिलेश यादव इस बयान से पीछे हटेंगे, या फिर अपने बयान पर कायम रहेंगे, यह देखना बाकी है। फिलहाल बीजेपी इस मुद्दे को छोड़ने के मूड में नहीं दिख रही और आने वाले चुनावों में यह बयान सपा के खिलाफ एक बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
समाजवादी पार्टी के लिए यह समय राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। अगर अखिलेश यादव सही रणनीति नहीं अपनाते हैं, तो आगामी चुनावों में उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। बीजेपी पूरी तरह से हिंदुत्व की राजनीति को धार देने में लगी हुई है और ऐसे में अखिलेश यादव के इस तरह के बयान बीजेपी को ही फायदा पहुंचा सकते हैं।अंततः यह स्पष्ट है कि राजनीति में बयानबाजी करते समय नेताओं को सतर्क रहना चाहिए, ताकि उनके शब्द समाज में सकारात्मक संदेश पहुंचाएं और किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।