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मुद्दे की बात : हिंडनबर्ग-रिपोर्ट : बीजेपी बनाम विपक्ष

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भाजपा प्रवक्ता ने विपक्ष की साजिश बता जड़े संगीन इलजाम

अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर अपनी रिपोर्ट जारी कर भारतीय राजनीति में भी हलचल मचा दी। इस रिपोर्ट में पूंजी बाज़ार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को घेरा गया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद भारत में राजनीतिक-बयानबाज़ियों का दौर शुरू हो गया है। इस रिपोर्ट को लेकर भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि भारत की जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में आ चुकी हिंडनबर्ग की ओर से एक रिपोर्ट आना और सात समुंदर पार से उठे इस सुर को लेकर विपक्ष का ताल लगाना और उससे ज़्यादा गंभीर बात है कि उसका संसद सत्र के साथ संबंध बनाना गहरी साजिश के संकेत हैं। भाजपा प्रवक्ता ने दावा किया कि यह षड्यंत्र बहुत साफ दिखाई पड़ता है कि भारत के अंदर ‘वो’ अराजकता और अस्थिरता और विशेषकर आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न करना चाहते हैं। यह इस बार की बात नहीं है, पिछले कई वर्षों से संसद सत्र से ठीक पहले या सत्र के दौरान ही विदेश से कोई चीज़ क्यों छपकर आती है ? हिंडनबर्ग की पिछली रिपोर्ट 2023 में बजट सत्र से ठीक पहले आई थी।

भाजपा प्रवक्ता ने तो यहां तक इलजाम लगा डाला कि मैं सीधे आरोप लगाता हूं कि कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं को पता था कि सत्र के दौरान रिपोर्ट आने वाली है। सत्र के बाद रिपोर्ट आने से कांग्रेस के मन में छटपटाहट आ गई कि यह रिपोर्ट तो सत्र के दौरान आने वाली थी। उन्होंने कहा है कि भारत के अंदर विपक्ष अराजकता और अस्थिरता पैदा करना चाहता है। विशेष तौर पर आर्थिक क्षेत्र में वह माहौल बिगाड़ना चाह रहा है।

अडाणी समूह बचाव में उतरा : गौरतलब है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर वित्तीय अनिमयितता के आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट में बुच और उनके पति धवल बुच की कारोबारी गतिविधियों पर सवाल उठाए गए हैं। अब इस रिपोर्ट पर अडाणी समूह ने बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए ताजा आरोप में दुर्भावना और शरारतपूर्ण तरीके से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का चयन किया गया है। ताकि निजी लाभ के लिए पहले से तय निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। यह तथ्यों और कानूनों का पूरी तरह उल्लंघन है।

बयान में कहा गया है कि हम अडाणी समूह पर लगाए गए आरापों को पूर्ण रूप से खारिज करते हैं। यह आरोप उन बेबुनियाद दावों की री-साइक्लिंग है, जिनकी पूरी तरह से जांच की जा चुकी है। इन आरोपों को जनवरी, 2024 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले ही खारिज़ किया जा चुका है।

इससे पहले कांग्रेस ने एक बयान जारी कर अडाणी मामले में उच्च अधिकारियों की कथित मिलीभगत उजागर करने के लिए जेपीसी गठित करने की मांग की थी। कुल मिलाकर एक बार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से दूसरी बार सियासी-घमासान होने की आशंका है। जबकि अडाणी पर पीएम मोदी के नजदीकी होने के सियासी आरोप भी जब-तब लगते रहते हैं। वही अडाणी अब फिर से हिंडनबर्ग के दूसरे हमले से तिलमिलाए लगते हैं। आशंका है कि उनको फिर इस हमले से आर्थिक नुकसान उठाने की नौबत ना आ जाए।

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