मिस्र के शर्म अल-शेख़ में हुए शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति ने चौंकाने वाले दावे-खुलासे किए
मिस्र के शर्म अल-शेख़ में हुए शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शामिल हुए। उन्होंने मिस्र, क़तर और तुर्की के नेताओं के साथ ग़ज़ा में शांति बहाल करने के लिए एक ऐतिहासिक घोषणा पर हस्ताक्षर किए। साथ ही कहा कि भारत और पाकिस्तान अब मिल-जुलकर रहेंगे।
दिलचस्प पहलू, इस दौरान ट्रंप ने पीछे मुड़कर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तरफ देखते हुए पूछा, ऐसा है ना ? उन्होंने गाजा पीस समिट के दौरान दिया। सवाल पूछने के बाद ट्रम्प और मंच पर मौजूद बाकी नेता हंसने लगे। ट्रंप इतना कहने के बाद अपने पीछे खड़े पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की तरफ मुड़े। शहबाज़ ने इस पर मुस्कुराते हुए प्रतिक्रिया दी। इसके अलावा उन्होंने भारत को महान देश और पीएम मोदी का नाम लिए बिना उन्हें अच्छा दोस्त बताया। हालांकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। उनकी तरफ से विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह वहां पहुंचे। ट्रंप ने फिर से दोहराया कि उन्होंने पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुए संघर्ष को रुकवाया। साथ ही दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को युद्ध जारी रखने पर ही भारी टैरिफ़ लगाने की धमकी दी थी।
वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्रंप के इस बयान के बाद एक बार फिर से पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा है कि पीएम इस मुद्दे पर लगातार खामोश हैं। सब ग़ज़ा के मुद्दे पर ट्रंप की जय-जयकार कर रहे हैं। शर्म अल-शेख़ में पाकिस्तानी पीएम शहबाज़ शरीफ़ ने भारत के साथ मई महीने में हुए संघर्ष का ज़िक्र किया, जो भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद हुआ था। वह बोले, पाकिस्तान ने ट्रंप को सबसे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रुकवाने में उनके असाधारण योगदान के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामिनेट किया था। ट्रंप ने अपने भाषण में पाकिस्तानी फ़ील्ड मार्शल आसिम मुनीर की तारीफ़ की, जो शर्म अल-शेख़ में मौजूद नहीं थे। उन्होंने कहा, मेरे फ़ेवरेट मुनीर यहां मौजूद नहीं हैं। बाद में शरीफ़ को पोडियम तक बुलाकर कुछ बोलने को कहा। शरीफ़ ने कहा, अगर ये (ट्रंप) नहीं होते तो कौन जानता है कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। अगर इन्होंने दखल नहीं दिया होता तो जंग और बड़े स्तर तक फैल जाती।
दूसरी तरफ, भारत ने शिखर सम्मेलन में ग़ज़ा शांति योजना पर हुए हस्ताक्षर का स्वागत किया। जिस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र, क़तर और तुर्की के नेताओं ने हस्ताक्षर किए। भारत की ओर से इस सम्मेलन में शामिल कीर्ति वर्धन सिंह ने ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तेह अल-सीसी से भी मुलाक़ात की। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, पीएम मोदी के विशेष प्रतिनिधि के तौर पर कीर्ति वर्धन सिंह शर्म अल-शेख़ में ग़ज़ा शांति सम्मेलन में शामिल हुए। भारत इस ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर का स्वागत करता है और इससे क्षेत्र में स्थायी शांति की आशा करता है। वहीं, कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने पोस्ट में लिखा, पीएम मोदी को मिले निमंत्रण के बावजूद भारत की तरफ से विदेश राज्य मंत्री को शर्म अल-शेख़ भेजे जाने पर कमेंट किया, क्या यह रणनीतिक संयम है या एक खोया हुआ अवसर ? यह किसी व्यक्ति विशेष (कीर्ति वर्धन सिंह) की योग्यता का सवाल नहीं है। हालांकि जब वहां इतने राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री मौजूद रहे तो भारत का ऐसा प्रतिनिधित्व हमारी आवाज़ और पहुंच सीमित कर सकता है।
वहीं, ट्रंप ने इसराइल और हमास के बीच संघर्षविराम कराने में भूमिका निभाने वाले क्षेत्रीय नेताओं की भी सराहना की। इससे पहले, इसराइल की संसद ‘क्नेसट’ को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, एक लंबे और दर्दनाक सपने का आख़िरकार अंत हुआ है।
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